आपको फिल्म ‘जागो’ में अभिनेता मनोज बाजपेयी का वो डायलॉग तो याद ही होगा जिनमें वो कहते हैं, “मैं बिहार में पैदा हुआ, यूपी में पला बढ़ा हूँ, जहाँ हर घर से तीन नेता, दो गुंडे और एक आईएएस पैदा होता है।” आप सोच रहें होंगे खेल की इस खबर में अचानक फ़िल्मी संवाद की क्या जरुरत पड़ गयी। वो इसलिए क्योंकि इस डायलॉग से मिलती-जुलती बात आज हम आपको बताने जा रहे हैं। विपरीत इस डायलॉग के फर्क सिर्फ इतना होगा कि यहां हम हर घर से नेता, गुंडे और आईएएस के बजाए खिलाड़ी निकलने की बात करेंगे। जी हां , हम आपको भारत के एक ऐसे गाँव से रूबरू करवाने जा रहे हैं जहाँ हर घर में एक प्रतिभावान खिलाड़ी पाया जाता है। यहीं नहीं इस गाँव में एक ऐसा खानदान भी है जिसके 10 सदस्यों को भारतीय खेल प्राधिकरण ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तैराकी के लिए चुना है। है न दिलचस्प बात।
तो हम आपको बता दें भारत के राज्य छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में स्थित ‘पुरई गाँव ‘ ने अपनी विशेष उपलब्धि की वजह से लोगों का ध्यान आकर्षित किया है। अक्सर हम सुना करते हैं कि भारत खेल का देश है, इस देश के हर गल्ली मोहल्लें में कोई न कोई खेल खेला ही जाता है। और कस्बे-क़स्बे में खिलाड़ी पाया ही जाता है। वैसे भी सवा करोड़ से अधिक आबादी वाले इस देश में खेल-प्रतिभाओं की भरमार है। बस कमी है तो उन्हें निखारने की। ऐसा नहीं हैं कि छोटे शहरों से निकली प्रतिभाओं ने अपने प्रदर्शन से खेल में निराश किया हो। इन प्रतिभाशील खिलाड़ियों ने दुनिया भर में अपने खेल प्रदर्शन का लोहा डंके की चोट पर मनवाया है।

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खैर हम बात कर रहे थें भारत में खेल के गाँव से मशहूर ‘पुरई गाँव’ की। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ये वही गाँव हैं जहाँ पिछले साल, सितंबर में भारतीय खेल प्राधिकरण ने एक साथ 12 बच्चों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तैराकी के लिए चुना था। ख़ास बात ये है कि सभी बच्चे 10 से 13 साल तक की उम्र के हैं और छत्तीसगढ़ के इसी गाँव से ताल्लुक रखते हैं। और सबसे बड़ी बात इन 12 बच्चों में से 10 बच्चे एक ही खानदान से हैं।
बात करें इस गाँव की तो, इस गाँव के हर एक घर में आपको कम से कम एक खिलाड़ी तो मिल ही जायेगा। ध्यान देने वाली बात यह है कि इस गाँव के खिलाड़ियों ने जिला, राज्य, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपने गाँव का नाम रोशन किया है। कहा जाता है कि इस गाँव का एक खिलाड़ी तो इंटरनेशनल लेवल पर खेले गए खो-खो मैच में भारत का प्रतिनिधित्व भी कर चुका है। इस गाँव का पता भी नहीं चलता, वो तो धन्य हो ‘हमर छत्तीसगढ़ योजना’ का जिसकी वजह से साल 2017 में इस गाँव के बारे में पता चला।

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‘द बेटर इंडिया’ के हवाले से प्राप्त जानकारी के अनुसार, पुरई गाँव के सरपंच सुखित यादव ने गाँव की इस ख़ासियत के बारे में बताया कि “गाँव के हर घर में कम से कम एक खिलाड़ी है। खेलों की बदौलत ही आज गाँव के 40 से भी ज्यादा युवा पुलिस, सेना और व्यायाम शिक्षक की नौकरियों में तैनात हैं। इन खिलाड़ियों को अभ्यास में कोई समस्या न हो इसलिए गाँव में एक मिनी स्टेडियम भी बनवाया गया है। पहले गाँव में खुला मैदान तो था, लेकिन अभ्यास के दौरान वहाँ आने-जाने वालों की वजह से असुविधा होती थी और खेल में व्यवधान भी पड़ता था। मिनी स्टेडियम बन जाने से खिलाड़ी अब अपना पूरा ध्यान खेल पर लगा सकते हैं। खिलाड़ियों को बेहतर सुविधा मुहैया कराने और उनका हुनर निखारने के लिए ही ‘ग्राम समग्र विकास योजना’ के तहत 31 लाख रुपए की लागत से यह मिनी स्टेडियम बनावाया गया। खेलों के कारण गाँव में लोग स्वास्थ्य और स्वच्छता के प्रति भी जागरूक हैं।”