लंदन में होने जा रहे आईएएएफ विश्व चैम्पियनशिप में इस बार सबकी निगाहें धरती के सबसे तेज रनर उसेन बोल्ट पर होंगी। शुक्रवार से शुरु हो रहे इस प्रतियोगिता में बोल्ट अंतिम बार ट्रैक पर दौड़ेंगे। बोल्ट के संन्यास के साथ ही एथलेटिक्स में एक युग का अंत हो जाएगा। पूरा विश्व बोल्ट को अंतिम बार दौड़ते देखना चाहेगा लेकिन भारत के लिए कोई अच्छी शुरूआत की उम्मीद नहीं है।
नीरज चोपड़ा विश्व एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में भारत की उम्मीद
प्रतियोगिता के लिए टिकटों की बिक्री रिकॉर्ड नंबर पर है और हर कोई बोल्ट के रेस को देखना चाहता है लेकिन भारतीयों को लेकर किसी भी तरह की कोई उम्मीद नहीं है। इस प्रतियोगिता में भारत के 25 एथलीट शिरकत करेंगे लेकिन उनके प्रभावित करने की उम्मीद नहीं है। अगर किसी एक खिलाड़ी से सबसे अधिक उम्मीद की जा रही है तो वो हैं विश्व जूनियर रिकॉर्डधारी जेवलिंग थ्रोअर नीरज चोपड़ा के पास पदक जीतने का मौका हो सकता है।
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भारत की हर उम्मीद हरियाणा के इस 19 वर्षीय खिलाड़ी पर टिकी है। जो 10 और 12 अगस्त को (क्वालीफिकेशन और फाइनल दौर) अपना जलवा दिखाने उतरेंगे।
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14 साल से भारत को नहीं मिला पदक
साल 1983 में पहली चैम्पियनिशप के बाद से ही भारत इस प्रतियोगिता में भाग लेता रहा है लेकिन भारत की झोली में अब तक सिर्फ एक पदक ही आ पाया है। भारत ने आखिरी बार कोई पदक साल 2003 में जीता था। भारत को ये पदक दिलाया था लॉन्ग जंप की महान एथलीट अंजू बाबी जॉर्ज ने। उन्होंने 2003 में ब्रॉन्ज मेडल जीता था
एशियाई चैम्पियनशिप में भारत का प्रदर्शन बेहतरीन
हाल में भुवनेश्वर में संपन्न हुई एशियाई चैम्पियनशिप में भारतीय एथलीटों ने शानदार प्रदर्शन किया। लेकिन महाद्वीपीय प्रतियोगिता में मिली सफलता का इस वैश्विक टूर्नामेंट में कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। एशियाई चैम्पियनशिप में प्रतिस्पर्धा काफी कम थी क्योंकि चीन, जापान, कतर और बहरीन के कई शीर्ष एथलीटों ने इसमें भाग नहीं लेने का फैसला किया था।