भारत की युवा सनसनी हिमा दास ने एशियन गेम्स में सिल्वर मेडल जीतकर तहलका मचा दिया है। हिमा ने महिलाओं की 400 मीटर स्पर्धा के फाइनल में 50.79 सेकेंड के समय के साथ दूसरा स्थान हासिल किया।
एशियन गेम्स में 12 साल बाद किसी भारतीय महिला एथलीट ने 400 मीटर में सिल्वर मेडल अपने नाम किया है। इससे पहले 2005 दोहा एशियन गेम्स में भारत की मंजीत कौर ने 52.17 का समय निकालते हुए सिल्वर जीता था।
बहरीन की सल्वा नासिर ने 50.09 सेकेंड के साथ गोल्ड मेडल जीता। ब्रॉन्ज कजाखस्तान की एलिना मिखिना को मिला। मिखिना ने 52.63 सेकेंड समय निकाला।भारत को स्प्रिंटर हिमा दास से बड़ी उम्मीद थी, जिस पर वो खरी उतरी।
इससे पहले हिमा दास ने 12 जुलाई 2018 को फिनलैंड के टेम्पेरे में हुए आईएएफ वर्ल्ड अंडर-20 चैंपियनशिप की महिलाओं की 400 मीटर स्पर्धा में स्वर्ण जीतकर इतिहास रचा था।
हिमा ने राटिना स्टेडियम में खेले गए फाइनल में 51.46 सेकेंड का समय निकालते हुए गोल्ड पर कब्जा किया था। इसी के साथ वह इस चैंपियनशिप में सभी आयु वर्गो में स्वर्ण जीतने वाली भारत की पहली महिला बनी थीं।
देश की उभरती हुई स्प्रिंटर हिमा दास ने गोल्ड कोस्ट ऑस्ट्रेलिया में शानदार प्रदर्शन करते हुए 400 मीटर की रेस के फाइनल में छठा स्थान हासिल किया था। जिसके बाद हिमा अखबारों की सुर्खियां बनीं और थोड़ी बहुत लोकप्रिय भी हुईं। लेकिन क्रिकेट के दीवाने इस देश में जैसे ही आईपीएल शुरू हुआ लोग अपने कॉमनवेल्थ के एथलीटों को भूलते गए।
21वीं सदी में पैदा हुईं 18 वर्षीय धावक हिमा दास घरेलू स्तर पर हुए फेडरेशन कप में शानदार प्रदर्शन करके गोल्ड कोस्ट का टिकट कटवाया था। हिमा गोल्ड कोस्ट में भारत के लिए 4X400 मीटर के ट्रैक पर भी दौड़ी थीं, जहां उन्होंने 33.61 सेकंड का समय निकाला था। असम के नागौन जिले के ढींग गांव की रहने वाली हिमा दास के गांव की हालत का अंदाजा लगा सकते हैं, जहां मोबाईल की कनेक्टिविटी अच्छी नहीं है। हिमा दास पांच भाई और बहनों में सबसे छोटी हैं, उनके पिता मुख्य रूप से धान की खेती करते हैं। उनके क्षेत्र में खेलों को ज्यादा तरजीह नहीं देते हैं, इसके अलावा उनके उधर ट्रेनिंग की व्यवस्था भी नहीं थी।
हिमा दास
9 जनवरी, साल 2000 में पैदा हुईं हिमा दास देश के लिए 400 मीटर में सबसे तेज दौड़ने वाली महिला एथलीट हैं। हिमा ने गोल्ड कोस्ट में राष्ट्रीय रिकॉर्ड को तोड़ते हुए 51.32 सेकंड में अपनी रेस पूरी की थी। वह गोल्ड मेडल जीतने वाली एमांट्ल मोंटशो से सिर्फ 1.17 सेकंड ही पीछे रहीं थी।
हिमा दास
हिमा दास अपने स्कूल में ही शौकिया रूप से खेत में ही फुटबॉल खेला करती थीं। लेकिन हिमा दास बाद में लोकल क्लब के लिए खेलने लगी थीं, जहां उन्हें पूरी उम्मीद थी कि वह भविष्य में जरूर भारत के लिए खेलेंगी। लेकिन साल 2016 में उनके टीचर ने उन्हें समझाया कि फुटबॉल में करियर बनाना कठिन है, इसलिए उन्हें किसी व्यक्तिगत इवेंट में ट्राई करना चाहिये। उसके कुछ ही महीने बाद दास ने साधारण खेत में ही स्प्रिंट की ट्रेनिंग करनी शुरू कर दी और गुहावाटी में आयोजित हुए 100 मीटर की रेस में भाग लिया। हालांकि उन्हें इस इवेंट में कांस्य पदक मिला लेकिन इसके बाद उन्हें अपने करियर में सही दिशा मिल गई।
हिमा दास
हिमा जब जूनियर स्तर पर असम के लिए नेशनल चैंपियनशिप में भाग लेने कोयबम्टूर गयीं थीं। तब ये बात सरकार को भी नहीं पता थी, लेकिन हिमा ने फाइनल में जगह बनाकर सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया। हालांकि हिमा दास मेडल नहीं जीत पाने की वजह से निराशा में ये खेल छोड़ना चाहती थीं। लेकिन उनके कोच निपोन दास ने उनके परिवार के अलावा हिमा को खेलने के लिए राजी किया। जिसके बाद हिमा के कोच उन्हें गुवाहाटी में लेकर आये। हिमा दास को उनके कोच ने ट्रेनिंग देनी शुरू की और बहुत जल्द ही बेहतरीन स्पीड पकड़ने में सफल हो गईं।
हिमा दास
हिमा दास ने इस उपलब्धि के साथ ही उस सूखे को भी खत्म कर दिया जो भारत के दिग्गज और फ्लाईंग सिक्ख मिल्खा सिंह और उड़न परी पीटी उषा भी नहीं कर पायीं थीं। हिमा दास से पहले भारत की कोई महिला या पुरुष खिलाड़ी जूनियर या सीनियर किसी भी स्तर पर विश्व चैम्पियनशिप में गोल्ड या कोई मेडल नहीं जीत सका था। ग्लोबल स्तर पर हिमा दास से पहले सबसे अच्छा प्रदर्शन मिल्खा सिंह और पीटी उषा का रहा था।
हिमा दास
पीटी उषा ने जहां 1984 ओलंपिक में 400 मीटर हर्डल रेस में चौथा स्थान हासिल किया था। तो वहीं मिल्खा सिंह ने 1960 रोम ओलंपिक में 400 मीटर रेस में चौथे स्थान पर रहे थे। इन दोनों के अलावा जेवेलिन थ्रोवर नीरज चोपड़ा ने 2016 में अंडर 20 वर्ल्ड चैंपियनशि में गोल्ड जीता था। वहीं सीमा पुनिया ने साल 2002 इसी चैंपियनशिप में ब्रांज और साल 2014 में नवजीत कौर ने भी ब्रांज जीता था। इसके अलावा कोई भी खिलाड़ी ट्रैक व फील्ड इवेंट में मेडल के करीब नहीं पहुंचा है।
हिमा दास