साल 2010 कॉमनवेल्थ खेलों का आयोजन पहली बार भारतीय सरजमीं पर किया गया। इस टूर्नामेंट में इंडिया के खिलाड़ियो ने गजब का खेल दिखाया और कुल 101 मेडल हासिल किए। इन मेडलों में से 38 अकेले गोल्ड मेडल थे। वैसे तो भारत ने शूटिंग और कुश्ती में सर्वाधिक गोल्ड मेडल जीते लेकिन अच्छी बात ये रही कि बैडमिंटन में भी भारतीय टीम को दो गोल्ड मेडल मिले। उनमें से एक था डबल्स में जो अश्विन पोनप्पा और ज्वाला गुट्टा की जोड़ी ने जीता था। वहीं दूसरा विमन सिंगल्स में साइना नेहवाल ने जीता था। वैसे महिला सिंग्ल्स में गोल्ड मेडल जीतना मुश्किल होता है लेकिन इस कारनामें को साइना ने कैसे अंजाम तक पहुंचाया। आइए जानते हैं।
साइना साल 2009 से ही वर्ल्ड नंबर दो खिलाड़ी बन गई थीं और वर्ल्ड 3 रैंकिंग के साथ उन्होंने 2010 कॉमनवेल्थ खेलों में भाग लिया। इस टूर्नामेंट में उन्होंने शानदार खेल दिखाया और शुरुआती मैचों में लंबे अंतर से जीत दर्ज कीं। सेमीफाइनल में स्कॉटलैंड की सुसान को जब उन्होंने सीधे सेट में 21-10, 21-17 से हराया तो लगा कि फाइनल उनके लिए ज्यादा कठिन नहीं होगा। फाइनल में उनका मुकाबला मलेशिया की म्यू वोंग से हुआ जो सेमीफाइनल में एक करीबी मुकाबले में इंग्लैंड की एलिजाबेथ कैन को हराकर फाइनल में पहुची थीं।
फाइनल में गोल्ड की रेस के लिए उनका मुकाबला साइन से हुआ। पहले सेट में दोनों के बीच अच्छी गहमा- गहमी देखने को मिली और अंततः म्यू वांग ने पहला सेट 21-19 से जीत लिया। ऐसे में बाजी उलटी पड़ती नजर आई। हमेशा की तरह दूसरे सेट में साइना ने जबरदस्त पलटवार किया। इस सेट में दोनों के बीच प्वाइंटों के लेकर अच्छी जंग देखने को मिली। लेकिन इस बार साइना ने कमाल कर दिया और 23-21 से दूसरा सेट अपने नाम कर लिया। तीसरे राउंड में साइना ने म्यू को अंक बटोरने का मौका ही नहीं दिया और 21-13 से तीसरा सेट जीतते हुए कॉमनवेल्थ में गोल्ड अपने नाम कर लिया।
इस मैच को जीतने के बाद साइना ने कहा था, “जब मैच में मैं कुछ प्वाइंटों से पीछे चल रही थी तो वह किसी सदमे की तरह था। वह एक बड़ा मैच था और उसे जीतना मेरे लिए बड़ा मायने रखता था। इसलिए मैंने पूरा जोर लगाया।”