मलेशिया के बेहतरीन बैडमिंटन खिलाड़ी और तीन बार ओलंपिक में सिल्वर मेडल जीतने वाले ली चोंग वेई को अच्छा और विवादों से दूर रहने वाले खिलाड़ी के रूप में जाना जाता है। वह कोर्ट के भीतर और बाहर अक्सर शांत रहते हैं। यही कारण है कि वह दुनिया भर में पसंद किए जाते हैं। लेकिन जब एक बैडमिंटन चैंपियनशिप के दौरान वह ड्रग लेने के लिए पॉजिटिव टेस्ट किए गए तो पूरी बैडमिंटन बिरादरी दंग रह गई। यह बात साल 2014 वर्ल्ड चैंपियनशिप की है। इस टूर्नामेंट में वह उप- विजेता रहे थे। जब उनका टेस्ट किया गया तो पता चला कि उन्होंने एंटी- इनफ्लेमेटरी ड्रग डेक्जामेथासोन का सेवन किया है। इसके बाद 3 सदस्यीय पैनल के जिम्मे इस जांच को दे दिया गया। इसके दोषी पाए जाने के चलते उनपर 2 साल का प्रतिबंध लगाया जा सकता था। जिसके कारण उनका पूरा करियर खतरे में चला जाता।
लेकिन बाद में अप्रैल 2015 में इस पैनल ने एक निर्णय सुनाया कि डेक्जामेथासोन कोई परफोर्मेंस बढ़ाने वाली दवा नहीं है। इससे ये साफ होता है कि ली ने यह दवा लापरवाही के चलते ली। लेकिन उनका धोखाधड़ी करने का कोई इरादा नहीं था। इसलिए 8 महीने का बैन उनपर पर्याप्त है। ली पहले से ही टेस्ट के रिजल्ट आने के बाद स्वयंसेवी रूप से खेलना बंद कर चुके थे। इसलिए बैन को पिछले दिनों से लागू माना गया। इसका मतलब है कि वह अब 2016 के रियो ओलंपिक में भाग ले सकते थे। हालांकि, इस बैन का ली की रैंकिग पर बुरा प्रभाव पड़ा और वह विश्वस्तर पर 180वें नंबर पर पहुंच गए थे।
इसके बाद ली ने दो ग्रांड प्रिक्स टूर्नामेंट जीते और अपनी रैंकिंग सुधारी। इसके अलावा उन्होंने रियो ओलंपिक में सिल्वर मेडल भी जीता। ओलंपिक खेलों में यह उनका तीसरा सिल्वर मेडल था। इसके पहले उन्होंने साल 2008 बीजिंग ओलंपिक, साल 2012 लंदन ओलंपिक में सिल्वर मेडल जीता था। इन दोनों मौकों पर फाइनल में उन्हें लिन डैन से हार का सामना करना पड़ा था। साल 2016 रियो ओलंपिक के फाइनल में पहली बार लिन डैन के अलावा उनके सामने दूसरा खिलाड़ी था। लेकिन इस चीनी खिलाड़ी के हाथों भी ली को हार का सामना करना पड़ा।