आईसीसी की दो ट्रॉफियां, वनडे विश्वकप और टी-20 विश्वकप पर भारत अपना नाम लिखा चुका था। अब बची थी तो आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी। एक बार भारत ये खिताब भी जीत चुका था, पर श्रीलंका के साथ संयुक्त रूप से। कसक थी इस ट्रॉफी को अपने हाथों में उठाने की..जो पूरी हुई 2013 में।
फाइनल में भारत और इंग्लैण्ड आमने-सामने थे। एक ओर जोरदार फॉर्म में चल रही टीम, जो अब तक टूर्नामेंट में अजेय थी। तो दूसरी ओर घरेलू टीम। मुकाबले में जमकर रन और विकेट बरसने की उम्मीद थी। लेकिन बरसे बादल। मैच से पहले भारी बारिश की वजह से मुकाबला 20 ओवर का कर दिया गया। इंग्लैण्ड ने मैच में डकवर्थ-लुइस लागू होने का अंदेशा देखते हुए पहले भारत को बल्लेबाजी पर उतारा।
अब तक चैंपियंस ट्रॉफी में धमाकेदार रही भारतीय बल्लेबाजी यहां डगमगा गई। टीम 20 ओवर में सात विकेट पर 129 रन ही जुटा सकी। शिखर धवन (31), विराट कोहली (43) और रविंद्र जडेजा (25 नॉटआउट) ही दहाई का आंकड़ा छू सके।
ग्लोबल वनडे टूर्नामेंट जीतने का इंग्लैण्ड को इससे अच्छा मौका नहीं मिल सकता था। पूरी चैंपियंस ट्रॉफी में पहली बार भारतीय गेंदबाजी का इम्तिहान था। उमेश यादव दूसरे ओवर में ही इस पर खरे उतरे और कप्तान एलिस्टेयर कुक को चलता कर दिया। जोनाथन ट्रॉट ने दो चौके लगाए पर फौरन ही अश्विन ने उन्हें स्टम्प ऑउट करा कर पवेलियन की ओर चलता किया। जो रूट (7) के रूप में अश्विन ने बड़ा विकेट लिया। 46 पर चार विकेट गंवा चुकी इंग्लैण्ड को इयान मॉर्गन (33) और रवि बोपारा (30) ने संभाला और स्कोर 110 तक लाए।
यहां इशांत ने कमाल दिखाया और लगातार दो गेंदों पर ये दो विकेट उखाड़ दिए। दोनों का कैच अश्विन ने लपका। भारत मैच में मजबूती से वापस आ चुका था। मुकाबला अंतिम ओवर तक पहुंचा, जहां फासला 14 रन का था। अश्विन ने 9 रन ही खर्च किए। 20वें ओवर की आखिरी बॉल ट्रेडवेल ने मिस की और भारतीय टीम खुशी से झूम उठी। कैप्टन धोनी तीनों आईसीसी ट्रॉफी जीतने वाले पहले कप्तान बने। जडेजा मैन ऑफ द मैच, तो धवन मैन ऑफ द सीरीज रहे।