सौरव गांगुली को भारतीय क्रिकेट इतिहास का सबसे बेहतरीन कप्तान माना जाता है। भले ही महेन्द्र सिंह धोनी ने उनके जीत के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ दिया हो मगर विरोधी टीमों को मुंहतोड़ जवाब देने में सौरव गांगुली का सानी कोई और नहीं था। गांगुली ने फिक्सिंग के जाल में फंसी टीम इंडिया को निकालते हुए एक होकर खेलना सीखाया। उन्होंने बड़ी से बड़ी टीमों को भी अपने अंदाज में सबक सीखाया।
भारत के पूर्व कप्तान गांगुली ने इसी तरह का सबक ऑस्ट्रेलियाई कप्तान स्टीव वॉ को भी सीखाया था। हुआ ये था कि स्टीव वॉ हमेशा टॉस के लिए बाद में आते थे और रेफरी और दूसरे कप्तानों को उनका इंतजार करना पड़ता था। ऑस्ट्रेलियाई टीम उस दौर में लगभग अजेय थी और स्टीवा वॉ उस टीम के कप्तान थे तो थोड़ी अकड़ आना तो जायज था। मगर गांगुली स्टीव वॉ की इस आदत से परेशान हो चुके थे। उन्होंने स्टीव वॉ को सबक सीखाने की ठान ली।
2001 में जब ऑस्ट्रेलियाई टीम ने भारत का दौरा किया तो गांगुली ने स्टीव वॉ को उन्हीं की दवा का कड़वा घूंट पिलाया। इस सीरीज के दौरान गांगुली ने स्टीव वॉ को टॉस के लिए लंबा इंतजार करवाया। गांगुली के इस कदम से स्टीव वॉ बुरी तरह झुंझला गए थे और उन्होंने गांगुली पर अपमानजनक व्यवहार करने का आरोप लगा दिया।
तब गांगुली ने स्टीव वॉ के इस आरोप का जवाब देते हुए कहा था कि खुद वह भी लेट आते थे तब तो उन्होंने कुछ नहीं कहा। इस तरह गांगुली ने स्टीव वॉ की अकड़ को तोड़ा था। इस सीरीज में भारत ने ऑस्ट्रेलिया को हराकर उनके जीत के सिलसिले को भी तोड़ा था। इस तरह गांगुली ने सिर्फ स्टीव वॉ को बल्कि पूरी ऑस्ट्रेलियाई टीम को उनकी औकात दिखा दी थी।