2014 टी-20 विश्वकप में भारत अपने सारे मैच जीतकर फाइनल तक पहुंचा था। खिताबी मुकाबले में सामना श्रीलंका से था। टीम इंडिया का टारगेट चेज करने के शानदार रिकॉर्ड को देखते हुए मीरपुर के शेर-ए-बांग्ला स्टेडियम पर श्रीलंका ने टॉस जीतकर भारत को पहले बल्लेबाजी करने के लिए उतारा। लंकाई कप्तान लसिथ मलिंगा का ये दांव काम कर गया। अब तक बेहतरीन फॉर्म में रही भारतीय बल्लेबाजी को यहां श्रीलंका ने जकड़ सा लिया। विराट कोहली (58 बॉल, 75 रन, 5 चौके, चार छक्के) के अलावा किसी बल्लेबाज के पास शाट्स की रेंज ही नहीं दिखी।
लेकिन बड़ा फेज आया 10.4 से लेकर 18.1 ओवर के बीच। विराट शानदार टच में थे और उन्हें दूसरे छोर से सिर्फ अच्छा साथ चाहिए था। मगर इस बीच टीम इंडिया के ‘युवराज’ के करियर की सबसे निराशाजनक पारी में से एक सामने आई। युवराज ने 21 गेंदों का सामना किया और 11 रन बनाए। इनमें युवी के बल्ले से एक भी बाउंड्री नहीं निकली। 52 के स्ट्राइक रेट से खेली गई युवी की इस पारी ने भारत को बैकफुट पर ला दिया। उनके 19वें ओवर में आउट होने के बाद भारत के पास करने के लिए ज्यादा कुछ बचा ही नहीं। भारत को दो विश्वकप जिताने में अहम भूमिका निभाने वाले युवराज इस पारी से विलेन बन गए। भारत 20 ओवरों में सिर्फ 130 रन तक पहुंच सका।
ये स्कोर फाइनल के लिहाज से काफी कम था। श्रीलंका ने सिर्फ चार विकेट खोकर लक्ष्य हासिल कर लिया। 2011 वनडे विश्वकप और 2009 टी-20 विश्वकप के फाइनल में हारने के बाद आखिरकार श्रीलंका ने जश्न मनाया। 2003 वनडे विश्वकप के फाइनल में ऑस्ट्रेलिया के हाथों हार के 11 साल बाद भारत ने विश्वकप फाइनल गंवाया।