विश्वकप का इतिहास इस बात का गवाह है कि इसमें मौके-बेमौके तमाम उलटफेर होते रहे हैं। खुद भारत ने भी 1983 विश्वकप उलटफेर करते हुए जीता था। लेकिन इन तमाम उलटफेर से बड़ा था इंग्लैण्ड-आयरलैंड का विश्वकप 2011 का मुकाबला। ग्रुप-बी के मुकाबले में ये दोनों टीमें भिड़ीं तो मैच अंग्रजों के पक्ष मे एकतरफा होने की पूरी उम्मीद थी। इंग्लैण्ड के बल्लेबाजों ने 50 ओवर में आठ विकेट के नुकसान पर 327 रन बनाकर मैच को लगभग एकतरफा बना भी दिया था। ट्रॉट (92), पीटरसन (59) और बेल (81) ने बेहतरीन बल्लेबाजी की।
इतने बड़े स्कोर के जवाब में आयरलैंड से कोई खास उम्मीद नहीं थी। पहली ही बॉल पर कप्तान पोर्टरफील्ड को एंडरसन ने बोल्ड कर दिया। आधी टीम 111 रन तक पवेलियन लौट चुकी थी। लेकिन कुछ खास होना तो अभी बाकी था।
केविन ओब्रायन नंबर सात पर उतरे और मैच का नक्शा ही पलट दिया। 30 बॉल पर पचास रन और 50 बॉल पर शतक ठोक दिया। इंग्लैण्ड की टीम इससे पहले कुछ समझ पाती, तब तक काफी देर हो गई थी। चिन्नास्वामी स्टेडियम पर ओब्रायन ने 123 मिनट विकेट पर बिताए और पूरा खेल बदल दिया। 63 बॉल पर 13 चौके और छह छक्के की मदद से 113 रन पर ओब्रायन जब आउट हुए तो आयरलैंड को 11 बॉल पर 11 रन की दरकार थी। टेलेंडर्स ने जरूरी रन बनाकर अपनी टीम की झोली में ऐतिहासिक जीत डाल दी।
इंग्लैण्ड विश्वकप इतिहास के सबसे बड़े उलटफेर में से एक का शिकार हो चुका था। कप्तान एंड्रयू स्ट्रॉस को यकीन ही नहीं हो रहा था। ख़ैर, क्रिकेट खेल ही है अनिश्चिताओं का जो बात शायद स्ट्रॉस अच्छी तरह से जान गए होंगे।