युवराज सिंह भारतीय क्रिकेट का एक ऐसा नाम है, जिसके चाहने वालों की कमी नहीं है। भले ही युवराज टीम में हों न हों, फॉर्म में हों न हों। इससे उनके फैन्स को कोई फर्क़ नहीं पड़ता। जितना धमाकेदार युवराज का भारतीय क्रिकट में सफर रहा है, उतनी ही शानदार उनकी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पहली पारी रही थी। युवराज ने अपना अंतरराष्ट्रीय डेब्यू वैसे तो साल 2000 में आईसीसी नॉकआउट टूर्नामेंट में केन्या के विरुद्ध किया था। लेकिन उस मैच में उन्हें बल्लेबाज़ी करने का मौका नहीं मिला था।
उन्होंने अपनी पहली अंतरराष्ट्रीय पारी खेली उसी टूर्नामेंट के पहले क्वार्टर फाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ और अपने दूसरे ही मैच में उन्होंने 80 गेंदों पर धमाकेदार 84 रन टोक डाले और टीम को 20 रन से जीत दिलाई। युवराज को इस दमदार परफॉर्मेंस के लिए मैन ऑफ द मैच भी चुना गया।
इस करो या मरो वाले मुकाबले में भारत ने पहले बैटिंग की। सचिन-सौरव की जोड़ी ने 66 रन की बेहतरीन शुरुआत दी। लेकिन मैच में भारत को फ्रंटफुट पर लाए नंबर पांच पर बैटिंग करने उतरे डेब्यूटेंट युवराज सिंह। उनकी बैटिंग देख कहीं से नहीं लगा कि वो अपनी पहली अंतरराष्ट्रीय पारी खेल रहे हैं, वो भी विश्व चैंपियन ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ। मैक्ग्रा, ली, गिलेस्पी जैसे बॉलर्स के खिलाफ बेखौफ बैटिंग करते हुए युवराज ने महज 47 बॉल पर हाफ सेंचुरी पूरी की।
इसके बाद भी युवराज ने बल्ले की धार दिखानी जारी रखी। 47वें ओवर में आउट होने से पहले युवराज टीम को अच्छी स्थिति में ला चुके थे। भारत को भी भविष्य का ‘सिक्सर किंग’ मिल चुका था।