भारत के सबसे सफल कप्तान में से एक सौरव गांगुली के लिए 2005-06 का साल काफी खराब रहा। खराब फॉर्म और कोच ग्रेग चैपल से विवाद की आंच सौरव के करियर पर पड़ी और वो टीम में जगह तक गंवा बैठे। डोमेस्टिक क्रिकेट में अच्छा परफॉर्म कर 2007 में सौरव को वापस टीम में चुना गया। वेस्टइंडीज के खिलाफ घरेलू सीरीज में सौरव टीम में वापस आए। पहला मैच नागपुर में खेला गया। सारी निगाहें सौरव पर ही थीं। गौतम गंभीर के साथ सौरव ओपनिंग करने उतरे।
टीम से बाहर रहने और कई विवाद झेलने के बाद सौरव अब पहले से भी कहीं ज्यादा गंभीर और फोकस्ड नजर आ रहे थे। बदले हुए स्टान्स और मजबूत तकनीक के साथ सौरव ने पारी को सधे हुए तरीके शुरू किया। नौंवे ओवर में सौरव ने हाथ खोले और ब्रैडशॉ की बॉल पर चौका-छक्का ठोका। 55 बॉल पर सौरव ने हाफसेंचुरी पूरी की।
गंभीर 69 रन बनाकर आउट हुए, पर सौरव ने सचिन के साथ मैदान संभाल लिया। सचिन-सौरव की जोड़ी मैदान पर पुराने रंग में दिखी। सौरव ने ऑफ साइड के साथ ही ऑन साइड पर भी जमकर रन बटोरे।
वापसी करते हुए शतक ठोकने से सौरव महज दो रन दूर थे कि दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से वो रनआउट हो गए। सौरव शतक से चूक गए, पर टीम इंडिया को 338 के बड़े स्कोर तक पहुंचाने की नींव रख चुके थे। भारत को मैच में जीत हासिल हुई और सौरव गांगुली का पुराना अंदाज भी। प्रिंस ऑफ कोलकाता अब कमबैक किंग बन चुके थे।