क्रिकेट के मैदान पर खिलाड़ियों के देश के लिए खेलने के जज्बे ने समय समय पर दर्शकों को चौंकाया है। खिलाड़ियों ने ऐसे कारनामे अंजाम दिये कि हर देखने वाले ने इनके पैशन के लिए ताली बजाई। ऐसा ही कुछ कमिटमेंट दिखाया था साउथ अफ्रीका के पूर्व कप्तान ग्रीम स्मिथ ने। स्मिथ ने टीम की हार बचाने के लिए ऐसा फैसला किया कि हर देखने वाला उनके जज्बे को सलाम कर रहा था।
2009 में साउथ अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया की टीमें सिडनी के मैदान पर एक दूसरे का सामना कर रही थी। ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाजी करते हुए पहली पारी में 445 रन बनाए। साउथ अफ्रीका को पहली पारी के दौरान झटका लगा और स्मिथ 30 रन बनाकर चोटिल हो गए। बाद में पता चला उनके हाथ में फ्रैक्चर है। साउथ अफ्रीका की पहली पारी 327 रनों पर समाप्त हुई। ऑस्ट्रेलिया ने दूसरी पारी में 257 रन बनाकर पारी घोषित करते हुए चौथी पारी में साउथ अफ्रीका को 376 रन बनाने की चुनौती दी। दूसरी पारी में ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाजों ने घातक गेंदबाजी की नतीजा ये हुआ कि साउथ अफ्रीका ने 9 विकेट 257 रन पर गंवा दिये।
चूकिं स्मिथ का हाथ टूटा हुआ था इसलिए ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी जीत का जश्न मना रहे थे। मैच बचाने के लिए सिर्फ 8.2 ओवर खेलने थे। ऐसे में स्मिथ ने ऐसा साहसी कदम उठाया कि सभी चौंक गए। स्मिथ टूटे हुए हाथ से मैच बचाने के लिए विकेट पर उतर गए। वह दर्द से कराह रहे थे मगर उन्होंने विकेट नहीं छोड़ा। गेंद उनके बल्ले पर भी लगती तो उसकी टकराहट से स्मिथ के हाथ में झनझनाहट होती और नहीं चाहते हुए भी उनके मुंह से चीख निकल जाती।
आस्ट्रेलियाई खिलाड़ी उन पर बाउंसर पर बाउंसर डाल कर उनकी इच्छाशक्ति की परीक्षा लेते रहे। अंत में जब मैच ड्रा होने के लिए सिर्फ 10 गेंद रह गए थे तब मिशेल जॉनसन ने स्मिथ को बोल्ड कर ऑस्ट्रेलिया को जीत दिलाई। स्मिथ टूटे हुए हाथ से 17 गेंदों का सामना किया। जब वह पवेलियन लौट रहे थे तब सभी दर्शक उनके साहस के लिए खड़े होकर तालियां बजा रहे थे।