टेस्ट की सबसे मजबूत टीमों में से एक इंग्लैंड के खिलाफ विराट कोहली के नेतृत्व में भारतीय टीम 1 अगस्त 2018 से 5 मैचों की टेस्ट सीरीज का आगाज करेगी। लेकिन उससे पहले भारतीय टीम का इंग्लैंड में प्रदर्शन कैसा रहा है। इस सफरनामे की शुरुआत 1932 से हुई थी, उस सफर को याद करते हुए हम पिछले लेख में 1979 तक पहुंच गए थे। उसी सफर के तीसरे हिस्से में हम आपको सन् 1982 से 2002 के दरम्यान हुए 5 दौरों के बारे में बता रहे हैं, पढ़ें ये खास लेखः
सन् 1982
भारतीय टीम इंग्लैंड के दौरे पर सन् 1982 में सुनील गावस्कर के नेतृत्व में गई थी। जहां तीन मैचों की टेस्ट सीरीज में इंग्लैंड ने भारतीय टीम को 1-0 से पछाड़ दिया था। हालांकि इस दौरे पर कपिल देव ने भारत की तरफ से सबसे ज्यादा 292 रन बनाए थे। इसके अलावा दिलीप वेंगसकर ने ओल्ड ट्रैफड में 157 रन की यादगार पारी खेली थी। इंग्लैंड की तरफ से इयान बॉथम ने सबसे ज्यादा 403 रन बनाए थे। गेंदबाजी की बात करें तो भारत के दिलीप दोषी ने 13 और इंग्लैंड के कप्तान बॉब विलीस ने 15 विकेट लिए थे।
सन् 1986
1983 में विश्व चैंपियन बनने के बाद भारतीय टीम ने कपिल देव की कप्तानी में तीन साल बाद इंग्लैंड का दौरा किया। टीम का मनोबल बढ़ा हुआ था और उसका असर भी दिखा। इंग्लैंड को उसी की धरती पर भारतीय टीम ने दूसरी बार टेस्ट सीरीज में 2-0 से मात दी। लॉर्ड्स में भारतीय टीम ने इंग्लैंड को 5 विकेट से और हेडिंग्ले में 279 रन से मात देकर इंग्लैंड को झकझोर दिया। भारत की ओर से इस दौरे पर दिलीप वेंगसकर ने कुल 360 रन बनाए थे। जबकि चेतन शर्मा ने कुल 16 विकेट लिए थे।
सन् 1990
भारतीय टीम ने 1990 में मोहम्मद अजहरूद्दीन की कप्तानी में युवा और अनुभवी के बेहतरीन अनुभव के साथ इंग्लैंड के दौरे पर गई थी। तीन मैचों की टेस्ट सीरीज में भारतीय टीम 1-0 से सीरीज भले ही हार गयी थी, लेकिन टीम ने इंग्लैंड को जोरदार टक्कर दी थी। इस दौरे पर सचिन तेंदुलकर और संजय मांजरेकर का प्रदर्शन प्रभावी रहा था। मोहम्मद अजहरुद्दीन दो, रवि शास्त्री और सचिन तेंदुलकर ने एक-एक शतक बनाए थे।
सन् 1996

भारतीय टीम ने मोहम्मद अजहरुद्दीन की कप्तानी में सन् 1996 में इंग्लैंड का यादगार दौरा किया था। इस दौरे पर भारत को दो दिग्गज सौरव गांगुली और राहुल द्रविड़ मिले थे, जिन्होंने लॉर्ड्स पर शतकीय पारी खेल अपनी दस्तक दे दी थी। पहला टेस्ट गंवाने के बाद भारत ने इंग्लैंड को कड़ी टक्कर देते हुए दो मैच ड्रॉ करवा दिया। सचिन तेंदुलकर ने सबसे ज्यादा 428 रन बनाए थे और वेंकटेश प्रसाद ने सबसे ज्यादा 16 विकेट लिए थे।
सन् 2002
भारतीय टीम सौरव गांगुली की कप्तानी में जब 2002 में इंग्लैंड पहुंची तो दुनिया को ये आहट मिल गई की ये टीम अब विदेशों में भी टेस्ट जीत सकती है। सन् 1986 के बाद पहली बार भारत ने इंग्लैंड को उसकी धरती पर टेस्ट मैच में मात दी। हालांकि भारतीय टीम लॉर्ड्स में 170 रन से हार गई, लेकिन उसके बाद दूसरे टेस्ट में भारतीय टीम ने वापसी की और मैच ड्रॉ कराया। उसके बाद भारतीय टीम ने तीसरे टेस्ट में इंग्लैंड की धरती पर सबसे बड़ी जीत (एक पारी और 46 रन) दर्ज करते हुए इतिहास रच दिया। इस सीरीज में भारत की ओर से राहुल द्रविड़ ने सबसे ज्यादा 602 रन और अनिल कुंबले ने 14 विकेट लिया था।