कैलेंडर में 8 मार्च की तारीख ‘वर्ल्ड वूमेंस-डे’ यानी विश्व महिला दिवस के नाम दर्ज है। फक्र की बात है कि आज भी साल के 365 दिन, दिन-रात मेहनत कर अपने परिवार को एक सूत्र में बांधे रखनेवाली देश की महिलाएं घर-परिवार के अलावा खेल जगत में भी अपने कौशल का डंका बजा रही हैं। देश की महिला प्रधानमंत्री बनने से लेकर सर्वोच्च संवैधानिक पद पर आसीन होने तक का सफ़र देश की बेटियों ने तय किया है। अब जब बात हो रही है महिला दिवस की तो खेल जगत की बात होना तो लाज़मी ही है। भारतीय खेल इतिहास में कई ऐसी महिलाएं है जिन्होंने अपने खेल प्रदर्शन से देश का सीना गर्व से चौड़ा किया है। यह बात और है कि पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को आज भी कम तवज्जों दी जाती है। बुनियादी सुविधाओं के अभाव में भी जिस तरह देश की स्टार खिलाड़ियों ने अपने हुनर का लोहा मनवाया है वो काबिलेतारीफ़ है। महिला दिवस के अवसर पर आज हम देश की उन बेटियों पर एक नज़र डालेंगे जिन्होंने अपने खेल के जुनून और ज़ज्बे से देश का सिर गर्व से ऊँचा किया हैं।
टेनिस स्टार के नाम से मशहूर सानिया मिर्ज़ा ने भारत में महिला खेलों की दिशा और दशा बदलने का काम किया है। शायद ही देश का कोई व्यक्ति होगा जो उन्हें नहीं जानता होगा। 15 नवम्बर 1986 के दिन भारत की आर्थिक राजधानी मुम्बई में जन्मी सानिया मिर्ज़ा देश की सर्वश्रेष्ठ महिला टेनिस खिलाड़ी हैं। साल 1999 में विश्व जूनियर टेनिस चैम्पियनशिप में हिस्सा लेकर अपने करियर की शुरुआत करने वाली सानिया साल 2003 में हुए विम्बलडन में डबल्स के दौरान जीत हासिल की। वो ग्रैंडस्लैम टूर्नामेंट जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी हैं। उनके बेहतर प्रदर्शन को देखते हुए उन्हें साल 2004 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया। साल 2009 में सानिया भारत की तरफ से ग्रैंड स्लैम जीतने वाली पहली महिला खिलाड़ी बनीं। उनके प्रदर्शन को देखते हुए उन्हें राजीव गाँधी खेल रत्न के अलावा पद्मश्री और पद्मभूषण से भी सम्मानित किया जा चुका है। सानिया अपने करियर में बहुत से रिकार्ड्स अपने नाम किये हैं। इसके अलावा वो द टाइम्स की पत्रिका की 2016 की सूची में दुनिया के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों में आ भी अपनी उपस्थिति दर्ज करवा चुकी हैं।
सानिया मिर्जा (Picture Source :- AFP)
17 मार्च 1990 को हैदराबाद के तेलंगाना में जन्मी साइना नेहवाल भारतीय महिला बैडमिंटन खिलाड़ी हैं। साल 2012 में हुए लंदन ओलंपिक में साइना ने इतिहास रचते हुए बैडमिंटन की महिला एकल स्पर्धा में कांस्य पदक जीतने वाली भारत की पहली खिलाड़ी बनी। इसके अलावा उन्होंने बहुत से खिताब अपने नाम किए हैं। उनके प्रदर्शन को देखते हुए भारत सरकार उन्हें साल 2010 में पद्मश्री के खिताब से नवाज चुकी है। इसके अलावा उन्हें अर्जुन पुरस्कार और राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।
साइना नेहवाल (Picture Source :- AFP)
3 सितम्बर 1992 को हरियाणा के रोहतक में जन्मी साक्षी मलिक एक भारतीय महिला पहलवान हैं। साल 2014 में ग्लासगो में हुए राष्ट्रमण्डल खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए रजत पदक जीत चुकी साक्षी 2014 के विश्व कुश्ती प्रतियोगिता में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं। इसके अलावा साल 2016 में ब्राजील के रियो डि जेनेरियो में हुए ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में साक्षी ने कांस्य पदक जीता है। भारत के लिए ओलंपिक पदक जीतने वाली वो पहली महिला पहलवान हैं।
साक्षी मलिक (Picture Source :- AFP)
3 दिसंबर 1982 को राजस्थान के जोधपुर में जन्मी मिताली राज को भारतीय महिला क्रिकेट का सचिन तेंदुलकर कहा जाता है। भारतीय महिला क्रिकेट की पूर्व कप्तान मिताली के नाम भारत की ओर से सबसे ज्यादा रन बनाने का रिकार्ड है। इस मामलें में वो पूरी दुनिया में दूसरी खिलाड़ी है। खेल में उनके बेहतर प्रदर्शन के मद्देनज़र भारत सरकार उन्हें पद्म श्री से सम्मानित कर चुकी है।
मिताली राज (Picture Source :- AFP)
9 अगस्त 1993 को त्रिपुरा के अगरतला में जन्मी गोल्डन गर्ल के नाम से मशहूर दीपा कर्माकर ने महज 6 साल की उम्र में जिम्नास्टिक की ट्रेनिंग शुरू कर दी थी। साल 2016 में हुए ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में उन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व किया। किसी भी ओलंपिक में प्रतिभाग करने वाली वो पहली भारतीय महिला जिम्नास्ट हैं। साल 2007 से दीपा ने राज्य, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में कुल 77 पदक जीते हैं जिनमें से 67 स्वर्ण पदक
दीपा कर्माकर (Picture Source :- AFP)
25 अगस्त 1994 को हरियाणा में जन्मी विनेश भारतीय महिला पहलवान है। एशियाड में लगातार दो पदक जीतने वाली वो पहली महिला पहलवान हैं। इसके अलावा वो इंचियोन एशियाई खेलों में कांस्य पदक, साल 2018 में हुए एशियाई चैम्पियनशिप में रजत और साल 2018 में हुए राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीत चुकी हैं। एशियन गेम्स में गोल्ड जीतकर इतिहास रचने वाली विनेश आज देश की बेटियों के लिए प्रेरणास्रोत बनी हुई हैं।
विनेश फोगाट (Picture Source :- AFP)
5 जुलाई 1995 को आंधप्रदेश के हैदराबाद में जन्मी पीवी सिंधु महज 8 वर्ष की आयु से बैडमिंटन खेलना शुरू कर दिया था। साल 2009 में हुए कोलंबो में वो इंटरनेशनल जूनियर एशियाई बैडमिंटन चैंपियनशिप में कास्य पदक की विजेता रही है और ये पी.वी. सिन्धु के करियर में सबसे बड़ी उपलब्धि थी। साल 2010 में ईरान के बैडमिंटन में रजत पदक जीतने के बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। फिर साल 2012 में हुए एशिया यूथ अंडर 19 चैंपियनशिप में वो विजेता बनी। साल 2013 में सिंधु विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप में भी एकल पदक की विजेता बनी। इसके अलावा साल 20016 में ब्राजील के रियो डि जेनेरियो में आयोजित किये गए 2016 ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेलों में उन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व किया और महिला एकल स्पर्धा के फाइनल में पहुंचने वाली भारत की पहली महिला बनीं। उन्होंने बैडमिंटन के खेल में जहां अनेक पुरस्कार जीते, वहीं उनकी योग्यता और उपलब्धियों के कारण भी उन्हें अनेक सम्मान प्राप्त हुए। उनके बढ़िया प्रदर्शन को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें साल 2015 देश का चौथा सर्वोच्च सम्मान ‘पद्म श्री’ से नवाज़ा। इसके अलावा साल 2013 में सिंधु को अर्जुन पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।
पीवी सिंधु (Picture Source :- AFP)