भारतीय टीम के तेज गेंदबाज भुवनेश्वर कुमार ने पिछले कुछ साल में टीम में अपनी अहम भूमिका कायम की है। भुवनेश्वर ने बेहद नियमितता के साथ प्रदर्शन किया है और सबसे खास बात ये है कि उनका प्रदर्शन विदेशी धरती पर भी अच्छा रहा है। लेकिन इन बुलंदी तक पहुंचने में भुवनेश्वर की राह आसान नहीं रही है।
उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर से आने वाले भुवनेश्वर के लिए शुरुआती दिनों में क्रिकेट में पांव जमाना इतना आसान नहीं था। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति खराब तो नहीं थी, मगर ऐसी भी नहीं थी कि वो भुवनेश्वर के क्रिकेट के तमाम खर्चे उठा सकें। ऐसी ही कुछ वजहों से भुवनेश्वर को कई बार क्रिकेट खेलने के लिए फटकार भी सुननी पड़ी। ऐसे में भुवनेश्वर को सबसे बड़ा सहारा मिला अपनी बहन रेखा से मिला। उन्होंने बचपन से ही कदम-दर-कदम भुवी को सपोर्ट किया।
भुवनेश्वर के पिता पुलिस विभाग में थे। परिवार की आमदनी सीमित थी। ऐसे में भुवी की क्रिकेट से जुड़ी जरूरतें पूरी होना भी काफी मुश्किल होता था। लेकिन बहन रेखा को अपने भाई पर पूरा भरोसा था। रेखा मानती थीं कि भुवनेश्वर में काफी क्षमता है और चाहती थीं कि उनका भाई क्रिकेट में बेहतर करे।
जूते तक नहीं थे
अंडर-17 में खेलने के लिए भुवनेश्वर कुमार के पास अच्छे स्पोर्ट्स शूज तक नहीं थे। ये शूज काफी महंगे भी आते थे। ऐसे में उनकी बहन रेखा ने अपनी बचत में से पैसे देकर भुवी के खेलने के लिए जूते खरीदे। भुवी इसके बाद न सिर्फ अंडर-17 खेले, बल्कि भारतीय टीम तक का भी सफर तय किया।
भुवनेश्वर के घर से उनकी क्रिकेट एकेडमी करीब 7-8 किलोमीटर दूर थी। बार-बार वो रास्ता भूल जाते थे। इस वक्त भी उनकी बहन ने ही भुवी की मदद की। रेखा रोज अपने भाई को लेकर क्रिकेट एकेडमी जाती थीं। ये भुवनेश्वर और उनके परिवार के संघर्ष का ही कमाल है कि ये तेज गेंदबाज इस वक्त अपने क्रिकेटिंग करियर से काफी नाम और पैसा कमा रहा है, फिर भी उनकी गिनती टीम के सबसे शालीन खिलाड़ियों में होती है।