आईपीएल का जिक्र हो और चीयरलीडर्स की बात न हो, ऐसा तो हो ही नहीं सकता। वैसे तो आईपीएल को हिट कराने के लिए इसका जबरदस्त फॉर्मेट ही काफी था लेकिन फिर भी भारतीय दर्शकों में इसका रुझान पैदा करने का श्रेय काफी हद तक जाता है चीयरलीडर्स को भी। पहले चंद सीजन तक तो चीयरलीडर्स हर किसी को रास आती रहीं लेकिन धीरे-धीरे इनसे संबंधित कई किस्से सुर्खियों में आने लगे।
सबसे पहले मुद्दा उठा छोटे और वल्गर कपड़ों का जिसपर विचार करते हुए बीसीसीआई ने आदेश जारी किया कि चीयरलीडर्स सम्पूर्ण ड्रेस में ही नाचेंगी। इसके बाद जब आईपीएल पर सट्टेबाजी के बादल मंडराए तो सबसे पहले गाज भी चीयरलीडर्स पर ही गिरी और वजह थी आफ्टर पार्टीज। आठवें सीजन में जब बीसीसीआई ने पाया कि प्लेयर्स और चीयरलीडर्स के बीच आफ्टर पार्टीज में कुछ ज्यादा ही इंट्रेक्शन हो रहा है तो उन्होंने कुछ और कड़े नियम लागू कर दिए। इस बीच बीसीसीआई को यह डर भी था कि कहीं उनके जरिए सट्टेबाज खिलाड़ियों तक न पहुंच जाएं। 2011 में एक इंटरव्यू के दौरान सीनियर फ्रेंचाइजी ऑफिसर ने बताया कि बीसीसीआई अब बकायदा इस बात को लेकर सतर्क रहता है कि प्लेयर्स और चीयरलीडर्स का आमना सामना न हो।
पहले तो प्लेयर्स और चीयरलीडर्स एक साथ एक ही प्लेन से सफर करते थे लेकिन अब ऐसा नहीं हैं। उन्होंने यह भी कहा कि आफ्टर पार्टीज को बैन करने का फैसला एकदम सही है क्योंकि ये इस टूर्नामेंट को काफी सारे विवादों से बचाएगा। इसका पूरा दोष मैं चीयरलीडर्स के ऊपर नहीं थोपना चाहता क्योंकि कई बार शराब के नशे में खिलाड़ी भी कुछ गलत हरकतें कर जाते हैं। गौरतलब है कि आईपीएल में नाईट और आफ्टर पार्टीज की शुरुआत ललिद मोदी ने की थी, जिसके बाद से आईपीएल में कई तरह के विवाद होने शुरु हो गए थे।