यह बात साल 2004 की है। मुल्तान टेस्ट में वीरेंद्र सहवाग ने जमकर कहर बरपाया और मैच के दूसरे दिन तिहरा शतक ठोक दिया। ये तिहरा शतक इसलिए भी स्पेशल था क्योंकि यह भारतीय टीम की ओर से किसी भी बल्लेबाज के द्वारा अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में बनाया गया पहला तिहरा शतक था। सहवाग की इस मैराथन पारी में सबसे ज्यादा साथ सचिन तेंदुलकर ने निभाया जो दूसरे छोर पर डटे रहे। सहवाग पारी के 127वें ओवर में 309 रन बनाकर आउट हो गए। उनके आउट होने के थोड़ी देर बाद वीवीएस लक्ष्मण भी आउट हो गए। लेकिन इसी बीच युवराज सिंह ने आकर सचिन का साथ निभाना शुरू कर दिया।
भारत का स्कोर 675/5 हो चला था। इसी बीच युवराज सिंह(59) के इमरान फरहत ने अपनी ही गेंद पर लपक लिया। सचिन इस दौरान 194 रन पर बल्लेबाजी कर रहे थे। ऐसे में एक अच्छे कप्तान के तौर पर राहुल द्रविड़ को सचिन का दोहरा शतक पूरा करवाने वाले के लिए नए बल्लेबाज पार्थिव पटेल को मैदान पर भेजना चाहिए था। लेकिन राहुल ने व्यवहारिता नहीं दिखाई और पारी घोषित कर दी और इस तरह सचिन तेंदुलकर 194 रनों पर नाबाद रह गए।
सचिन द्रविड़ के इस निर्णय से काफी निराश हुए और अनमने ढंग से ड्रेसिंग रूम की ओर चल पड़े। जब सचिन ड्रेसिंग रूम पहुंचे तो वह द्रविड़ से चिल्लाते हुए बोले कि मुझे अकेला छोड़ दो। सचिन को बाद में राइट और द्रविड़ ने मनाया यहां तक कि द्रविड़ ने माफी भी मांगी। तब जाकर सचिन माने। बाद में एक इंटरव्यू में द्रविड़ ने कहा था, “एक-दूसरे के साथ बातचीत के बाद हमने इस मुद्दे को सुलझा लिया है। यह हम दोनों के बीच का निजी मामला था और हम इसे इसी तरह रखना चाहते हैं। हमने इसके बाद भी एक-दूसरे का सम्मान जारी रखा और अब भी ऐसा ही है।” द्रविड़ ने साथ ही तेंदुलकर की तारीफ करते हुए कहा था कि इस महान बल्लेबाज ने हमने अपनी प्रतिभा का सर्वश्रेष्ठ इस्तेमाल करने का प्रयास किया।”
द्रविड़ ने कहा था, “काफी लोग कहते हैं कि विवादों से दूर रहना आसान है। जब भी जरूरत हुई तो हमने कदम उठाए। जब भी हमें लगा कि यह अंतर पैदा कर सकता है। कई बार हमने बिना कोई हाय तौबा मचाए अन्य लोगों की मदद से भारतीय क्रिकेट की कुछ चीजों को बदला। कई तरीकों से हमने अपना काम किया।”