हार्दिक पांड्या पर पहली बार भारतीय दर्शकों का ध्यान आईपीएल 2015 के दौरान तब गया जब उन्होंने आईपीएल के चेन्नई बनाम मुंबई मैच में महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी वाली चेन्नई सुपर किंग्स टीम के मुंह से जीत छीन ली थी। इस मैच में 18 ओवर तक चेन्नई हावी थी और अंतिम 12 गेंदों में 30 रनों की ज़रूरत थी, लेकिन क्रीज़ पर अंबाति रायडू और पुछल्ले बल्लेबाज के रूप में हार्दिक पांड्या मौजूद थे।
समीकरण बहुत मुश्किल और सामने धोनी जैसा कप्तान और मैदान चेन्नई का चिन्नास्वामी स्टेडियम जहां रन बनाने के लिए लंबे शॉट लगाने पड़ते हैं। इस पर धोनी ने 19वां ओवर पवन नेगी को थमाया जिन्होंने उस मैच में अपने पहले स्पैल में 3 ओवर में केवल 10 रन ही दिए थे। सभी परिस्थितियां उलट थीं, लेकिन कौन जानता था कि इन सभी प्रतिकूल परिस्थितियों पर काबू पा लिया जाएगा और मैच देख रहे लाखों दर्शक हार्दिक पांड्या का जलवा दिखेंगे।
पांड्या ने नेगी की पहली तीन गेंदों पर तीन लगातार छक्के मारकर मैच लगभग खत्म कर दिया। धोनी भी हैरान, चिन्नास्वामी स्टेडियम के दर्शक भी हैरान, खुद मुंबई इंडियंस के कप्तान रोहित शर्मा हैरान। पांड्या ने मानो मैच ही धोनी से छीन लिया हो। यह पहला मौका था जब क्रिकेट प्रेमियों ने पांड्या की विस्फोटक पारी देखी थी। यह पांड्या का क्रिकेट में एक आगाज़ था जिसकी हलचल से लोग अभी वाकिफ़ ही हुए थे।
उस दिन से इस होनहार क्रिकेटर ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। जिस भी टीम के लिए वो खेले अपने छोटे-बड़े योगदान से वो आगे बढ़ते रहे। उनमें हरफनमौला खिलाड़ी की वो प्रतिभा थी जिसकी दरकार टीम इंडिया को काफी समय से थी। एक ऐसा खिलाड़ी जो 140 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से गेंदबाज़ी करने के साथ-साथ गंगनचुंबी छक्के जड़ने का भी माद्दा रखता है। फिर 26 जनवरी 2016 को वो दिन आया जब इस क्रिकेटर को टीम इंडिया के लिए पहली बार खेलने का मौक़ा मिला। एडिलेड में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हार्दिक पांड्या ने अपना पहला टी-20 मुकाबला खेला। तभी से वो सिमित ओवर क्रिकेट में टीम इंडिया के नियमित सदस्य बने हुए हैं। इस दौरान उन्होंने अपनी प्रतिभा का लोहा इस तरह मनवाया कि अब तो कोई भी कप्तान इन्हें अपनी प्लेइंग-11 में शामिल करना ज़रूर चाहेगा।
भारत और पाकिस्तान के बीच 4 जून को खेले गए चैंपियंस ट्रॉफी के ग्रुप मैच में भी पांड्या को कप्तान विराट कोहली ने धोनी से पहले बल्लेबाज़ी के लिए भेजा था और मैच के 48वें ओवर में उन्होंने पाकिस्तान के स्पिनर इमाद वसीम को लगातार तीन छक्के जड़कर पाकिस्तान के खेमें में खलबली मचा दी थी। फाइनल मैच में भी पांड्या ने पाकिस्तान की तथाकथित मजबूत गेंदबाज़ी के खिलाफ छह छक्के जड़े थे।
पाकिस्तान के खिलाफ पांड्या का यह कारनामा उन लोगों के लिए नया हो सकता था, जिन्होंने उनके बल्ले की धार पहली बार देखी हो। कोहली, रोहित, धोनी जैसे खिलाड़ी पांड्या की क्षमता जानते हैं इसलिए वे अंतिम ग्यारह में शामिल रहते हैं। चैंपियंस ट्रॉफी फाइनल में भी पांड्या ने बेहतरीन पारी खेली और क्रिकेट की दुनिया को दिखा दिया कि वे भविष्य के सितारे हैं। पांड्या रन बनाते हैं, गेंदबाज़ी करते हैं और चुस्त फील्डिंग भी करते हैं, एक कम्प्लीट ऑलराउंडर के सारे गुण उनमें मौजूद हैं। पांड्या इतने महत्वपूर्ण ऑलराउंडर बनने की राह पर हैं कि वे गेंदबाज़ी करते हुए अपने कोटे के पूरे 10 ओवर कर रहे हैं और बल्लेबाज़ी करते हुए कभी-कभी धोनी जैसे बल्लेबाज़ से ऊपर खेल रहे हैं।
भारतीय टीम को ऑलराउंडर की कमी पिछले कई समय से खल रही थी। कहने को तो रवींद्र जड़ेजा आर अश्विन को ऑलराउंडर कहकर टीम को संतुलति किया जाता है, लेकिन ये दोनों बॉलिंग ऑलराउंडर है, बल्लेबाज़ी में इतना ख़ास नहीं कर पाए हैं, जबकि पांड्या जितने प्रभावी गेंदबाजी में हैं, उतने ही बल्लेबाज़ी में भी हैं। कुल मिलाकर पांड्या के बारे में यह कहा जा सकता है कि यह वो ऑलराउंडर खिलाड़ी है, जिसकी तलाश भारतीय टीम को लंबे समय से थी। उम्मीद है हमें भविष्य में कई पांड्या शो देखने को मिलेंगे। गौर करने वाली बात ये भी है कि पांड्या के नाम चैंपियंस ट्रॉफी 2017 में सबसे ज्यादा छक्के जड़ने का रिकॉर्ड है। पांड्या ने 5 मैचों की तीन पारियों में बल्लेबाजी करते हुए कुल 10 छक्के लगाए जिनमें 6 छक्के तो उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ फाइनल मैच में ही जड़ दिए थे। जाहिर है कि पांड्या टीम इंडिया में एक धमाकेदार बल्लेबाजी की भी कमी पूरी कर रहे हैं। आने वाले सालों में पांड्या टीम इंडिया की एक मजबूत कड़ी साबित होने को तत्पर हैं। यह हम नहीं कह रहे बल्कि हार्दिक पांड्या का हुनर बोल रहा है। और यक़ीन मानिए इस 23 वर्षीय खिलाड़ी में हुनर और जज़्बे की कोई कमी नहीं है।