टीम इंडिया के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया है। दरअसल, हुआ यूँ कि साल 2009 में वो आम्रपाली ग्रुप के ब्रैंड एम्बेसडर बने थे। जिसके बाद वो इस ग्रुप के प्रमोशन के लिए कई विज्ञापनों में भी दिखे थे तथा उनकी पत्नी साक्षी भी इस ग्रुप के चैरिटी कार्यक्रम से जुड़ी थी। तक़रीबन 6 छह साल तक जुड़े रहने के बाद जब वर्ष 2016 में इस कंपनी पर निवेशकों के साथ धोखाधड़ी का आरोप लगा तो धोनी ने इस रियल्टी फर्म से खुद को अलग कर लिया। गौरतलब है कि सर्वोच्च न्यायालय में आम्रपाली समूह के खिलाफ धोखाधड़ी के मामले में सुनवाई चल रही है। इस ग्रुप पर हजारों खरीददारों को घर न देने का आरोप है।
इस ग्रुप के लिए कई विज्ञापन करने वाले धोनी ने कोर्ट से कहा कि “आम्रपाली समूह ने उनकी सेवाओं के लिए उन्हें भुगतान नहीं किया।” जानकारी के मुताबिक इस ग्रुप पर तक़रीबन 38.95 करोड़ रुपये बकाया है, जिसमें से 22.53 करोड़ रुपये मूलधन और 16.42 करोड़ रुपये ब्याज है। जिसका कैलकुलेशन 18 प्रतिशत वार्षिक साधारण ब्याज के तहत किया गया है।

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‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में छपी ख़बर के मुताबिक, धोनी ने कहा कि “उन्होंने इस ग्रुप के साथ करार करने के बाद वर्ष 2011 में आम्रपाली होम्स प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड में 25 करोड़ रुपये का निवेश किया था जिसके बदले कंपनी ने उन्हें 75 करोड़ रुपये के रिटर्न का आश्वासन दिया था।” उनके द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका में कहा गया है कि कंपनी के मुनाफे में 25 प्रतिशत हिस्सेदारी के अलावा 75 करोड़ रुपये का बकाया है।
आम्रपाली ग्रुप के इस हेराफेरी पर संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 28 फरवरी को उस ग्रुप के सीएमडी अनिल शर्मा और दो डायरेक्टर्स शिव प्रिय और अजय कुमार को पुलिस हिरासत में भेज दिया था।