सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के कामकाज को देखने के लिए चार अलग-अलग क्षेत्र के लोगों के साथ प्रशासक समिति का गठन किया है। इस समिति के प्रमुख की भूमिका पूर्व नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) विनोद राय को बनाया है। इस समिति के अन्य सदस्य इतिहासकार रामचंद्र गुहा, आईडीएफसी के प्रबंधकीय निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) विक्रम लिमाये और भारतीय महिला क्रिकेट टीम की पूर्व कप्तान डयना इदुल्जी हैं।
अदालत ने दो फरवरी को होने वाली अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) की तीन दिवसीय बैठक के लिए भी तीन सदस्यीय समिति का गठन भी किया है, जिसमें बीसीसीआई के संयुक्त सचिव अमिताभ चौधरी, कोषाध्यक्ष अनिरुद्ध चौधरी और लिमाये शामिल हैं। प्रशासकों को नियुक्त करते समय अदालत ने अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी के खेल मंत्रालय के सचिव को प्रशासन समिति में शामिल करने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया। अदालत ने इसके लिए अपने 18 जुलाई 2016 के आदेश का हवाला दिया जिसमें कहा गया था कि कोई भी सरकारी अधिकारी और मंत्री बीसीसीआई में पद नहीं संभाल सकता।
अटॉर्नी जनरल अदालत में रेलवे, सर्विसेज और विश्वविद्यालय खेल संघ की ओर से दलील दे रहे थे। वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने राय की नियुक्ति का यह कहते हुए विरोध किया था कि वह बैंक बोर्ड ब्यूरो के चेयरमैन हैं इसलिए वह इस समिति में शामिल नहीं हो सकते, लेकिन अदालत ने उनकी इस दलील को भी नकार दिया।अदालत ने कहा कि बीसीसीआई के सीईओ राहुल जौहरी, विनोद राय की अध्यक्षता वाली समिति को बोर्ड में लोढ़ा समिति की सिफारिशों को लागू करने करने वाली रिपोर्ट सौंपेंगे।
इस मामले की अगली सुनवाई 27 मार्च को होगी। अदालत ने कहा है कि प्रशासक समिति लोढ़ा समिति की सिफारिशों के क्रियान्वान पर अपनी रिपोर्ट चार सप्ताह में अदालत में पेश करेगी। अदालत ने वरिष्ठ वकील अरविंद दातर की उस सलाह को भी नकार दिया है जिसमें उन्होंने कहा था कि प्रशासक समिति को बिना किसी वेतन के काम करना चाहिए जिस तरह बीसीसीआई अधिकारी करते आ रहे थे।
दातर की इस सिफारिश को खारिज करते हुए अदालत ने उन्हें प्रशासकों के लिए सम्मानजनक वेतन का प्रस्ताव पेश करने का आदेश दिया है। दातर ने अदालत से कहा, “जब मैंने बीसीसीआई के अधिकारी के तौर पर नि:स्वार्थ काम किया तो प्रशासक समिति ऐसा क्यों नहीं कर सकती।” अदालत ने राज्य संघों को लोढ़ा समिति से अलग रखने की याचिका पर आदेश देने पर यह कहते हुए मना कर दिया कि उसका ध्यान इस समय सिर्फ लोढ़ा समिति की सिफारिशों को लागू करने पर है।राज्य संघों ने अदालत में कहा है कि उन्हें लोढ़ा समिति का हिस्सा न बनाया जाए क्योंकि उनके मामले की सुनवाई नहीं हुई है। उन्होंने इसके लिए अदालत के पूर्व आदेश का हवाला दिया है जिसमें कहा गया था कि बदलाव सिर्फ बीसीसीआई तक की सीमित हैं सहयोगी राज्यों पर यह लागू नहीं हैं।