पूर्व अंडर-19 विश्वकप विजेता कप्तान उन्मुक्त चंद के बल्ले पर लगा ग्रहण सोमवार को छंट गया और दिल्ली के इस बल्लेबाज़ ने टूटे हुए जबड़े के बावजूद विजय हजारे ट्रॉफी में उत्तर प्रदेश के खिलाफ 125 गेंदों में 116 रन बनाकर एक बार अंडर-19 विश्वकप 2012 के फाइनल की यादें ताज़ा कर दी।
उनकी इस पारी के बदौलत दिल्ली ने यूपी के समक्ष 308 रन का लक्ष्य रखा, जवाब में यूपी की पूरी टीम 252 रन ऑलआउट हो गयी। इस तरह दिल्ली ने मुकाबला 55 रन से मुकाबला अपने नाम कर लिया। चंद लम्बे समय से दिल्ली की टीम से बाहर चल रहे थे। लेकिन उन्होंने जिस अंदाज में वापसी की है वह शानदार है।
साल 2012 अंडर 19 वर्ल्डकप का 10वां संस्करण, जगह ऑस्ट्रेलिया, कप के लिए मुकाबला भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया। भारत के कप्तान उन्मुक्त चंद ने खेली एक ऐसी पारी की भारत ने ऑस्ट्रेलिया को पटखनी देकर ख़िताब अपने नाम कर लिया। इस 111 रन पारी के बाद उन्मुक्त चंद की तुलना विराट कोहली और पूर्व सलामी बल्लेबाज़ वीरेंदर सहवाग से होने लगी।

आईपीएल में उन्हें दिल्ली ने तुरंत लपक भी लिया। लेकिन उन्मुक्त का चाँद उसके बाद कभी भी फलक पर नहीं आया। लोग उस फाइनल के हीरो को भूल से गए, धीरे-धीरे उन्मुक्त को घरेलू क्रिकेट में भी रिजेक्शन मिलने लगा।
जबकि 2012 में ऐसा लग रहा था कि उन्मुक्त का चाँद भारतीय टीम में जरुर खिलेगा, लेकिन एक बेहतरीन खिलाड़ी होने के बावजूद उन्मुक्त अपनी प्रतिभा से न्याय नहीं कर पाए। वहीं मौजूदा समय में अंडर 19 क्रिकेट विश्वकप में भारतीय टीम ने एक बार फिर उन्मुक्त जैसा पृथ्वी सितारा हासिल किया है। जिसकी तुलना क्रिकेट पंडित सचिन तेंदुलकर से कर रहे हैं।
ऐसे में एक क्रिकेट फैन होने के नाते मन में एक डर सा है कि कहीं आईपीएल की चकाचौंध पृथ्वी शॉ के भविष्य पर ग्रहण न लगा दे, हालांकि हमारी आकांक्षा यही है कि शॉ भारत के लिए खेलें और लम्बा खेलें। क्योंकि प्रतिभा का बर्बाद होना क्रिकेट के लिए नुकसानदेह साबित होता रहा है।