भारतीय क्रिकेट फैन का चैंपियंस ट्रॉफी फाइनल में पाकिस्तान से मिली हार का ज़ख्म अभी हरा ही था और भारतीय टीम चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल के पांचवें दिन वेस्टइंडीज़ में वनडे क्रिकेट खेलती दिखाई दी। माना कि सीरीज़ पहले से तय थी लेकिन चैंपियंस ट्रॉफी जैसे बड़े टूर्नामेंट के बाद भारत का यह वेस्टइंडीज़ दौरा नीरस सा लग रहा है। क्या यह सीरीज़ खेलना ज़रूरी था? क्या आईसीसी ने लगत समय सीरीज़ का आयोजन करवाया? इसे क्रिकेट की लोकप्रियता प्रभावित नहीं होगी? क्या यह समझा जाए कि आईसीसी के लिए क्रिकेट से बड़ा पैसा हो गया है।
भारतीय टीम का वेस्टइंडीज़ दौरा वैसे भी कम ही लोग देखते हैं क्योंकि मैच शाम को शुरू होकर अलसुबह तक चलते रहते हैं और एक आम क्रिकेट प्रेमी क्रिकेट में जो तड़ाक भड़ाक देखना चाहता है, ऐसा क्रिकेट वेस्टइंडीज़ में नहीं खेला जाता। भारत और वेस्टइंडीज़ वनडे सीरीज़ में दर्शक एक और बड़ी वजह से दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं। वह वजह है कमजोर वेस्टइंडीज़ टीम। भारत के खिलाफ घरेलू वनडे सीरीज़ खेल रही वेस्टइंडीज़ टीम में अगर क्रिस गेल, ड्वेन ब्रावो, सुनील नरेन जैसे खिलाड़ी होते तो यह सीरीज़ कुछ रोचक हो सकती थी, लेकिन वेस्टइंडीज़ क्रिकेट बोर्ड और प्लेयर्स एसोसिएशन के अपने मतभेद हैं।
आईसीसी एक ओर क्रिकेट के रोमांच को बनाए रखने के लिए नित नए नियम बनाने की बात करता है तो दूसरी ओर ऐसी नीरस सीरीज को अपने कैलेंडर में जगह देता है। क्या सीरीज़ को पांच वनडे के बजाए तीन वनडे मैचों की नहीं की जा सकती थी? टी 20 क्रिकेट जैसे फटाफट क्रिकेट के ज़माने में केवल एक ही टी-20 मैच रखा गया।
खिलाड़ियों का तो जज़्बा सभी टीमों के खिलाफ खेलते हुए बना रहता है और वे बेहतर क्रिकेट खेलने की कोशिश करते हैं, लेकिन दर्शक को ऐसा क्रिकेट देखना चाहते हैं जो क्लास के साथ-साथ रोमांच में भी कम न हो। कुल मिलाकर भारत वेस्टइंडीज़ के बीच वर्तमान क्रिकेट सीरीज़ गलत समय पर और लंबे फॉर्मेट में आयोजित हो रही है और इससे क्रिकेट की लोकप्रियता में कोई बढ़ोतरी नहीं होने वाली। कुल मिलाकर आम क्रिकेट प्रेमी वेस्टइंडीज़ में हो रहे क्रिकेट में कम रूचि ले रहे हैं और यह बात क्रिकेट के खिलाफ जाती है। बेहतर होता आईसीसी इसके स्थान पर ट्राई सीरीज़ का आयोजन कर लेती, जिससे दर्शक कैरेबियन क्रिकेट में रूचि लेते।