एक वक़्त था जब इरफान पठान को एक ऐसे ऑलराउंडर के तौर पर देखा जाता था जिसकी दरकार भारतीय टीम को काफी लंबे समय से थी। 12 दिसंबर साल 2003 को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट मैच में 19 साल के इस युवा तेज़ गेंदबाज़ को भारत की तरफ से सफ़ेद जर्सी पहनने का मौक़ा मिला। जोश और हुनर से लबरेज़ इस युवा खिलाड़ी के लिए ये बेहद ही खास लम्हा था। और हो भी क्यों ना, सिर्फ19 साल की उम्र में आप टीम इंडिया के लिए खेलें इससे बड़ी बात कुछ हो नहीं सकती। अपने करियर के शुरुआत में इरफान ने सभी को प्रभावित किया। स्मूथ एक्शन के साथ गेंद को दोनों ओर स्विंग करने की क़ाबलियत उनको दूसरे गेंदबाज़ों से अलग कर रही थी। पाकिस्तान के खिलाफ साल 2006 में उन्हीं की सरज़मीं पर खेलते हुए उन्होंने टेस्ट मैच के पहले ही ओवर में हैट्रिक लेकर मानो विश्व क्रिकेट में सनसनी मचा दी।
ये वो वक़्त था जब ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान ग्रेग चैपल टीम इंडिया के कोच थे। उनकी नज़र इरफान पर पड़ चुकी थी और इरफान की ऑलराउंड क़ाबलियत से वो काफी प्रभावित थे। यही वजह थी कि चैपल इस युवा खिलाड़ी को सिर्फ एक तेज़ गेंदबाज़ के तौर पर नहीं देख रहे थे। बल्कि इरफान में वो एक बल्लेबाज़ भी देख चुके थे और फिर वो उन्हें एक शुद्ध हरफनमौला खिलाड़ी बनाने पर आमादा हो गए। इरफान को चैपल नंबर 3 पर बल्लेबाज़ी के लिए भेजने लग गए और यहीं से इरफान का बतौर गेंदबाज़ पतन शुरू हो गया। नंबर 3 पर बल्लेबाज़ी करते हुए उन्होंने रन बनाए लेकिन इसका असर उनकी गेंदबाज़ी पर साफ़ झलकने लग गया। उनकी स्विंग गेंदबाज़ी में अब वो धार नहीं रह गई थी जिसके दम पर उन्होंने विश्व क्रिकेट में अपनी दस्तक दी थी। क्रिकेट पंडितों और कई पूर्व खिलाड़ियों का यही मानना था कि इरफान का बल्लेबाज़ी पर ज़्यादा ध्यान देने की वजह से ही उन्होंने अपनी गेंदबाज़ी को नज़रअंदाज़ कर दिया है। इसके पीछे सभी ने ज़िम्मेदार ठहराया उनके कोच ग्रेग चैपल के अड़ियल रवैये को जो इरफान को एक बल्लेबाज़ बनाने पर उतारू हो गए थे। उसके बाद वही हुआ जिसका सबको डर था। इस होनहार खिलाड़ी को ख़राब गेंदबाज़ी प्रदर्शन के कारण टीम इंडिया से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। और इसका ठीकरा फूटा ग्रेग चैपल पर।
यहाँ तक कि उस वक़्त कयास इस बात के भी लगाए गए कि महेंद्र सिंह धोनी की वजह से भी इरफान को टीम इंडिया से बाहर होना पड़ा। यहाँ तक कि पिछले साल आईपीएल में इरफान जब धोनी की अगुवाई वाली पुणे टीम का हिस्सा थे तब उन्हें धोनी ने सिर्फ 4 मैचों में ही मौक़ा दिया था। इसके बाद मीडिया में ये ख़बर आने लगी थी कि धोनी इरफान को पसंद नहीं करते जिसके कारण वो इरफान को जानबूझ कर प्लेइंग-11 में शामिल नहीं करते।
अब इस बात को काफी वक़्त बीत चुका है और चीज़े काफी बदल चुकी हैं। जब उन्हें आईपीएल-10 की नीलामी में कोई ख़रीदार नहीं मिला तो ऐसे कयास लगने लग गए थे कि अब उनका करियर ख़त्म हो गया है। लेकिन चोटिल ड्वेन ब्रावो की जगह गुजरात लायंस ने उन्हें अपनी टीम में शामिल कर इस बात को साफ कर दिया कि अभी भी उनमें काफी क्रिकेट बची हुए है। हाल ही में इरफान से जब ये पूछा गया कि क्या ग्रेग चैपल के कारण उनका करियर बर्बाद हुआ है तो उन्होंने कहा कि “मुझे पता है, बहुत से लोगों का मानना है कि ग्रेग चैपल ने मेरे करियर को बर्बाद कर दिया, जो सच नहीं है। कोई भी किसी का करियर बर्बाद नहीं कर सकता। आपको क्या करना है, आपको करना होगा आप अकेले ही अपने लिए जिम्मेदार हैं।”
इसके साथ ही कपिल देव से अपनी तुलना पर उन्होंने कहा कि “ऑलराउंडर की बात आती है, तो कपिल देव पूरी तरह अलग लीग में रहे हैं। मैं नहीं जानता, कि कोई उनकी जगह ले सकता हैं या नहीं, लोगों ने मेरी तुलना उनसे की है, लेकिन इससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ा। लेकिन एक युवा खिलाड़ी के रूप में आप तुलना करना पसंद करते हैं, जो आपको बेहतर करने के लिए आत्मविश्वास देता है.”
इरफान ने ग्रेग चैपल चैपल को लेकर अपनी जो राय दी है उससे एक बात तो साफ़ हो गई है कि वो अपने करियर के ख़राब दौर के लिए उन्हें ज़िम्मेदार नहीं मानते। बल्कि उन्हें खुद इस बात का एहसास है कि कहीं ना कहीं उनसे गलती हुई है।