भारत में फुटबॉल की दयनीय स्थिति से सभी वाकिफ हैं। भारत में फुटबॉल की इस हालत की एक बड़ी वजह हम कथित खेल प्रेमी भी हैं, जो फुटबॉल के साथ सौतेला व्यवहार करते हैं। लेकिन एक समय ऐसा भी था जब भारतीय फुटबॉल टीम एशिया की सर्वश्रेष्ठ टीमों में गिनी जाती थी। हम बात कर रहे हैं 1950 और 60 का दशक, जिसे भारतीय फुटबॉल का स्वर्णिम काल कहा जाता है। इस दौरान भारतीय फुटबॉल टीम ने एशियन गेम्स में 2 बार गोल्ड मेडल अपने नाम किया। हालांकि भारतीय टीम के लिए ये मुकाम हासिल करना इतना आसान नहीं था। भारत में फुटबॉल भले ही अग्रेंजों के साथ आया था, लेकिन भारतीयों को इस खेल में महारत हासिल करने में कई सालों का वक्त लग गया। यही वजह है कि भारतीय फुटबॉल टीम को पहला भारतीय कप्तान साल 1925 में गोस्था पॉल के रूप में मिला। आइये जानते हैं भारतीय फुटबॉल टीम के पहले कप्तान गोस्था पॉल की दिलचस्प कहानी……..
गोस्था पॉल का जन्म 20 अगस्त 1896 को तत्कालीन बंगाल प्रेसीडेंसी के भोजेश्वर के फरीदपुर गांव (वर्तमान में बांग्लादेश) में हुआ था। गोस्था के जन्म के 10 साल बाद ही उनका परिवार कोलकाता में बस गया।
कोलकाता आने के बाद गोस्था की फुटबॉल में काफी रूचि बढ़ गई और मात्र 11 साल की उम्र में ही वह कुमार्तुली ए.सी. की तरफ से खेलने लगे। इस बीच मोहन बागान ने साल 1911 में ईस्ट यॉर्कशायर रेजीमेंट को 2-1 से हराकर आईएफए शील्ड का खिताब पहली बार जीतकर इतिहास रच दिया।
हैरानी की बात ये है कि इस मैच में सभी भारतीय खिलाड़ी नंगे पैर खेले थे वहीं ईस्ट यॉर्कशायर रेजीमेंट के खिलाड़ी जूते और अन्य साजों-सामान के साथ मैदान में उतरे थे। ये जीत भारतीय फुटबॉल के लिए एक मील का पत्थर साबित हुई और भारत में खासकर बंगाल में फुटबॉल कुछ ही सालों में काफी लोकप्रिय हो गया।
आईएफए शील्ड जीतने के एक साल बाद ही मोहन बागान के सेंटर हॉफ राजन सेन की नजर एक लोकल मैच में गोस्था पॉल पर पड़ी और उन्हें अपने क्लब में शामिल कर लिया। गोस्था ने 1913 में महज 16 साल की उम्र में डलहौजी एफसी के खिलाफ अपना पहला मैच खेला और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
गोस्था 1921 में 1926 तक मोहन बागान के कप्तान भी रहे। इस बीच उन्हें साल 1924 में विदेशी दौरे पर जाने वाली पहली भारतीय फुटबॉल टीम का कप्तान बनने का सौभाग्य भी प्राप्त हुआ। मोहन बागान की ओर से लगातार 22 साल खेलने बाद साल 1935 में गोस्था पॉल ने फुटबॉल को अलविदा कह दिया।
आपको ये बात जानकर हैरानी होगी कि गोस्था पॉल ने मोहन बागान की ओर से फुटबॉल के साथ-साथ क्रिकेट, टेनिस और हॉकी भी खेला था। इसके अलावा गोस्था ने एक बंगाली फिल्म में भी अभिनय किया था। 27 अप्रैल 1962 को गोस्था को पदम श्री अवॉर्ड से नवाजा गया। गोस्था ये अवॉर्ड पाने वाले पहले भारतीय फुटबॉलर थे।