पहली बार फीफा के किसी मुकाबले में भारतीय टीम हिस्सा लेने उतरी लेकिन परिणाम निराशाजनक रहा। अंडर 17 के मेजबान देश होने के कारण भारत ऐतिहासिक मुकाबले के लिए मैदान पर उतरा लेकिन पहले राउंड में ही इसका सफर थम गया। भले ही टीम इंडिया को तीनों मुकाबले में हार मिली लेकिन मुख्य कोच लुई नोर्टन डि माटोस को अपनी टीम पर गर्व है। साथ ही उन्होंने खिलाड़ियों का भविष्य स्टार माना।
भारत ग्रुप ए में अमेरिका से 0-3 से, कोलंबिया से 1-2 से और अंतिम मुकाबले में गुरुवार रात घाना से 0-4 से हार गयी थी। भारत ने तरह से तीन मैच में नौ गोल खाये जबकि वह केवल एक गोल कर पाया।
माटोस हालांकि अपने खिलाड़ियों के प्रदर्शन से संतुष्ट दिखे और घाना के खिलाफ हार के बाद के केवल इस सवाल पर थोड़ा खफा से दिखे जब उनसे पूछा गया कि क्या तीन मैचों में नौ गोल खाना अच्छा परिणाम था।
भारतीय कोच ने कहा, ‘‘मैं देखना चाहूंगा कि भारत की सीनियर टीम इन देशों की सीनियर टीमों के खिलाफ कैसा प्रदर्शन करती है। अगर यह नेपाल, भूटान या मालदीव की टीमें होती तो परिणाम अलग होता। मुझे अपनी इस टीम पर गर्व है और हमें उन्हें आगे भी निखारने के लिये प्रयास करने होंगे। ’’
माटोस से पूछा गया कि क्या वह आई लीग की किसी टीम को कोचिंग देना पसंद करेंगे, उन्होंने कहा, ‘‘मैं भविष्य में भी इस टीम का हिस्सा बने रहना चाहता हूं लेकिन अभी मुझे एआईएफएफ से इस बारे में बात करनी है। ऐसा संभव है। ’’ घाना के खिलाफ मैच के बारे में माटोस ने स्वीकार किया कि उनकी टीम दमखम और चुस्ती में प्रतिद्वंद्वी टीम के सामने काफी कमजोर साबित हुई और वह पहले हाफ में ही फिनिश हो गयी थी।
उन्होंने कहा, ‘‘दो कड़े मैचों के बाद घाना जैसी टीम के खिलाफ खेलना मुश्किल था। अफ्रीकी टीम आयु वर्गों के स्तर में काफी कड़ी हैं। घाना बेहद कड़ी टीम है और इस मैच में अंतर काफी बड़ा था। पहले दो मैचों में हमारे पास सबसे अच्छा मौका था। ’’ माटोस ने कहा, ‘‘हमारी टीम पहले 45 मिनट में ही खत्म हो गयी थी। उनके पास दूसरे हाफ में घाना की तेजी की बराबरी करने के लिये ऊर्जा नहीं बची थी। अगर उन्हें एक और मैच खेलना होता तो वे नहीं खेल सकते थे क्योंकि उनमें कोई ऊर्जा नहीं बची थी। लेकिन घाना की यही टीम इस तरह के आठ मैच में ऐसा ही प्रदर्शन कर सकती है। ’’