2010 फीफा वर्ल्ड कप के दौरान जर्मनी के खिलाफ इंग्लैंड के फ्रैंक जेम्स लैंपर्ड का वो विवादित गोल आज भी सबको याद होगा बाद में वीडियो में साफ-साफ दिखा कि वो गोल था, लेकिन मैदानी रेफरी ने उसे गोल नहीं दिया। विवाद वहीं से पैदा हुआ, जिससे बचने के लिए इस बार फीफा ने वर्ल्ड कप शुरू होने से ठीक पहले तय कर दिया था कि वे इस बार मैचों के दौरान वीडियो असिस्टेंट रेफ़री सिस्टम (var)का प्रयोग करेंगे, ताकि वैसी भूल फिर न हो।
उस प्रकरण के बाद फैंस और कई देशों के प्रतिनिधियों ने अपना विरोध दर्ज राया था। इस बारे में आर्सेनल के मैनेजर आर्सेन वेंजर ने कहा था ” अब समय आ गया है कि हम रेफरी की मदद करें। वीडियो से रेफरी की मदद तो होगी ही, उनकी विश्वसनीयता और बढ़ जाएगी। सुविधाएँ बढ़ेंगी और गलतियां होने की संभावना भी ख़त्म हो जाएगी। फुटबॉल दुनिया एक मात्र ऐसा गेम है जिसमें हम अपरिवर्तनवादी हो गये हैं, जबकि अन्य खेलों में ऐसा नहीं है। वीडियो का प्रयोग से मजबूती बढ़ेगी लेकिन ये भी सच है कि रेफरी के साइड को ये थोड़ा कमजोर भी करेगा।”
बढ़ते विरोध के बाद फीफा प्रेसिडेंट गियानी इंफेंटिनो ने पहली बार 2017 कन्फेडरेशंस कप में वीएआर का प्रयोग किया और इसे संतोषजनक बताया। वहीं फीफा रेफरिंग प्रमुख मासीमो बसैका कहते हैं ” हम जानते हैं कि क्या काम कर रहा है और नहीं, और हम यह देखेंगे कि और क्या सुधार किया जा सकता है। कम्युनिकेशन बहुत जरूरी है। यह छोटा और साफ होना चाहिये, ज्यादा समय भी नहीं लगना चाहिए। हम परफेक्ट कभी नहीं हो सकते लेकिन हम गलतियों को कम कर सकते हैं। तकनीकी से कई समस्यायों का निवारण हो सकता है।” इन सबके बाद फीफा ने इस वर्ल्ड कप में वीएआर के प्रयोग की अनुमति दे दी। रॉबर्टो रोजेटी की निगरानी में इस तकनीकी का प्रयोग किया जा रहा है।
वीएआर की मदद चार मामलों में ली जा सकती है, जैसे गोल्स, पेनाल्टी डिसीजन्स, डायरेक्ट रेड कार्ड और गलत पहचान के मामलों में। पहला फैसला पूरी तरह से रेफरी ही करेगा। और वह फैसला तभी बदला जाएगा जब वह पूरी तरह गलत हो।
रेफरी केवल उस घटना की शुरुआती जाँच कर सकता है जहाँ से विवाद की शुरुआत हुई हो। नए सिस्टम के तहत थ्रो करके किया गया गोल जो कि दूसरी टीम के पास जाना चाहिए उसे नई प्रणाली के तहत अस्वीकार नहीं किया जा सकता। यदि गेंद अभी भी खेल में है, तो रेफरी को तब तक इंतजार करना पड़ेगा जब तक कि खेल को रोकने से पहले एक तटस्थ क्षेत्र में न हो। अगर निर्णय उलट नहीं है, तो ड्रॉप बॉल के साथ दोबारा शुरू होगा।
वीएआर सिस्टम में करीब 13 लोगों को लगाया है जबकि कम से कम छह अन्य रेफरी को भी बुलाया जा सकता है। छह रेफरी वह होंगे जो मैदान पर व्यस्त नहीं होंगे। असिस्टेंट रेफरी के चार सदस्यीय समूह को हर रोज एक मैच की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी ताकि उच्च गुणवत्ता सुनिश्चित की जा सके।
एक रेफरी खेल के दौरान उत्पन्न विवादित क्षणों का विश्लेषण जबकि दूसरा हमेशा मैच पर नजर रखता है। तीसरा रेफरी ऑफ साइड पर निर्णय देता है और चौथा बैक-अप प्रदान करता है। वीएआर मोनिटर के काम करने के लिए कुल 33 कैमरा लगाए गये हैं जबकि प्री-क्वार्टर फाइनल मुकाबले से पहले इसकी संख्या 35 कर दी जाएगी। तस्वीरें ऑप्टिक नेटवर्क के जरिए पहुंचेगी बकि तकनीकी परेशानियों के लिए सैटेलाइट सिस्टम का इस्तेमाल किया जाएगा।
कैसे काम करता है वीएआर
तमाम गाइडलाइन्स के बावजूद वीएआर को लेकर कई चिंताएं भी हैं, जैसे जो कुछ भी होता है, उसके बारे में प्रशंसकों को त्वरित स्पष्टीकरण देने में विफलता। वर्ल्ड कप में तैनात रेफरी के पास वीएआर को लेकर ज्यादा अनुभव नहीं हैं। एक ही मैच में मैदान के अंदर और बाहर, अलग-अलग देशों के रेफरी तैनात हैं, ऐसे में उनके बीच भाषा को लेकर भी बड़ी समस्या आ सकती है। रेफरी के खतरे से बचने के लिए खिलाड़ी अब बहुत ज्यादा सावधानी बरतेंगे, जिस कारण उनका खेल भी प्रभावित हो सकता है।
दिक्कतें भी हैं