एशिया की टीमों के बीच हॉकी का बादशाह बनने के लिए एशिया कप ही सबसे बड़ा टूर्नामेंट रहता है। हॉकी का सबसे पुराना धुरंधर भारत चार बार इस खिताब के पास आकर ठिठक चुका था। ऐसे में 2003 एशिया कप में भारत एक बार फिर जब फाइनल तक पहुंचा तो इंडियन फैन्स का तनाव एक बार फिर बढ़ गया। तनाव इसलिए भी ज्यादा था क्योंकि फाइनल में टक्कर थी पाकिस्तान से। चिर प्रतिद्दंदी होने के साथ ही पाक ही वो टीम थी, जिसने भारत को तीन बार एशिया कप फाइनल में हराया था।
फाइनल में भारत ने अटैकिंग हॉक का बेजोड़ नमूना पेश किया। मैच के छठे मिनट में ही भारत को पेनाल्टी कॉर्नर मिला और कवलप्रीत सिंह ने उसे गोल में तब्दील कर टीम को 1-0 की लीड दिला दी। लेकिन भारत की ये खुशी ज्यादा देर बरकरार नहीं रह पाई। पाकिस्तान ने 7वें और 13वें मिनट में दो गोल कर अचानक 2-1 की लीड बना ली। दोनों गोल सोहेल अब्बास ने किए। भारत पाक के इस काउंटर अटैक से हैरान था।
भारत के लिए इस बार स्कोर बराबर किया गगन अजीत सिंह ने। हाफ टाइम तक स्कोर 2-2 पर रहा।
मैच के दूसरे हाफ में इग्नेस टिर्की ने गोल दागा और भारत को मैच में आगे ला दिया। जल्दी ही प्रभजोत सिंह ने भी गोल कर दिया। भारत की 4-2 की लीड से पार पाना अब पाक के हाथ में नहीं था।
मैच इसी स्कोर पर खत्म हुआ और भारत ने 21 साल के इंतजार के बाद आखिरकार एशिया कप पर कब्जा जमाया।