भारतीय हॉकी अपने गोल्डन एरा को आजतक नहीं दोहरा पाई जिसकी वजहें बहुत सारी हैं। लेकिन हॉकी के इस खेल में कोच के साथ खूब खेल हुआ, खासकर बीते एक दशक की बात करें तो भारत ने इस दौरान कई कोच बदले। दिलचस्प बात ये है कि बीते एक दशक में भारत के किसी भी कोच ने इस दौरान अपना कार्यकाल पूरा नहीं किया। जिसकी वजह टीम का प्रदर्शन बताया गया, लेकिन अगर कायदे से देखा जाए तो इस दौरान हॉकी के साथ राजनीति खूब हुई। जिसकी वजह से कोच भारतीय हॉकी में आया राम गया राम बन गये, देखें ये लिस्ट और जानें किस कोच ने कैसे गंवाया अपना पदः
स्पेन के जोस ब्रासा ने साल 2009 मई में भारतीय टीम के कोच बने थे। क्योंकि टीम इंडिया उस समय बीजिंग ओलंपिक के लिए क्वालिफाई नहीं कर पाई थी। ब्रासा के देखरेख में भारतीय टीम ने साल 2010 के कॉमनवेल्थ खेलों में सिल्वर मेडल जीता, एशियाई खेलों में कांस्य पदक जीता था। साल 2009 में कोच बने ब्रासा को साल 2010 में कोचिंग के पद से इसलिए हटा दिया गया क्योंकि टीम 2012 ओलंपिक के लिए क्वालिफाई नहीं कर पाई थी।
जोस ब्रासा
जून 2011 में भारतीय टीम को कोचिंग देने की जिम्मेदारी माइकल नोब्स को दी गयी और साल 2013, जून में उनकी छुट्टी बिना टेन्योर पूरा किये ही कर दी गयी। साल 2012 ओलंपिक के दौरान माइकल नोब्स ने भारतीय टीम को कोचिंग दी। लेकिन टीम आठवें स्थान पर रही, जिसकी वजह से नोब्स की खूब आलोचना हुई। हालांकि ऐसा पहली बार हुआ था कि नोब्स को बर्खास्त नहीं किया गया। लेकिन जब टीम नीदरलैंड में होने वाले विश्वकप में डायरेक्ट क्वालिफाई नहीं कर पायी तो उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।
माइकल नोब्स
ग्लासगो में सिल्वर मेडल जीतने वाली भारतीय टीम को कोचिंग देने वाले टेरी वॉल्श को साल 2013 में भारतीय टीम का कोच बनाया गया था। उनके कार्यकाल में टीम का प्रदर्शन भी शानदार रहा, लेकिन उन्होंने खुद इस पद से इस्तीफा दे दिया था। क्योंकि उन्हें खेल में राजनीति का घालमेल परेशान करता था। उनके समय में ही टीम ने एशियाई खेलों में गोल्ड जीतकर रियो ओलंपिक में डायरेक्ट क्वालिफाई कर लिया था।
टेरी वाल्श
पॉल वैन ने भारतीय टीम को 6 महीने से भी कम कोचिंग दी थी। लेकिन बेल्जियम में जारी वर्ल्ड हॉकी लीग के सेमीफाइनल के दौरान कोच ने हॉकी इंडिया के अध्यक्ष नरिंदर बत्रा के हस्तक्षेप का खुलासा किया था कि मलेशिया पर जीत के बाद बत्रा ने हिंदी में खिलाड़ियों की अलोचना मैदान पर ही की थी। जिसके बाद जून 2015 में उन्हें बर्खास्त कर दिया गया था। हालांकि वह टीम को कोचिंग देना चाहते थे।
पॉल वैन एस
पाकिस्तान को कोचिंग दे रहे रोलेंट ओल्टमंस को भारतीय हॉकी टीम का कोच अगस्त 2015 में बनाया गया। कोच बनने के बाद ओल्टमंस टीम के लिए लांग टर्म के लिए काम में लग गये, लेकिन दो साल बाद टीम ड्रा को जीत में बदलने में नाकाम रहने लगी। जिसके बाद साल 2017 में उनकी भी छुट्टी कर दी गयी, हालांकि ओल्टमंस के समय में टीम का प्रदर्शन बेहतर हुआ था, खासकर टीम ने रियो में अपने प्रदर्शन से खूब तारीफ बटोरी थी।
रोलेंट ओल्टमंस
भारतीय महिला टीम के कोच सोर्ड मारिन को ओल्टमंस के बाद सितंबर 2017 में भारतीय पुरुष टीम को कोच बना दिया गया। लेकिन टीम में किसी भी खिलाड़ी की जगह पक्की न रखने की वजह से टीम पर बुरा असर पड़ा। जिसके बाद टीम आखिरी पलों में मैच गंवाने लगी, जिसकी वजह अनुभव की कमी थी। कॉमनवेल्थ खेलों में टीम के खाली हाथ लौटने के बाद मारिन को दोबारा महिला टीम का कोच बना दिया गया। जबकि महिला टीम के कोच हरेंद्र सिंह को पुरुष टीम का कोच नियुक्त कर दिया गया।
सोर्ड मारिन