नामुमकिन शब्द उनके शब्दावली के तरकश से नदारद थे। संघर्ष करना मानो माँ के पेट से ही सीखकर आये थे। महज 4 साल की उम्र में माँ का आँचल छूटा, कुछ समझ पाते इससे पहले ही माँ चल बसी। पिता मामूली किसान थे, दिन भर खेतों में मेहनत मजदूरी कर जैसे-तैसे परिवार का पेट पालने वाले पिता अक्सर बीमार ही रहा करते थे। पिता की बिमारी देख उनके काम में हाथ बटाने की कोशिश की। परिवार में पिता के अलावा एक शादीशुदा बहन अपने दो बच्चों के साथ रहा करती थी। जैसे-तैसे दिन कट रहे थे कि किस्मत को परिवार की ख़ुशी में एक और ग्रहण लगाने का मौका मिला।
कक्षा 12 में 18 वर्ष की आयु में सिर से पिता का भी साया भी उठ गया। एक तो गरीबी उस पर से माता-पिता का साया भी उठ जाना मानो बड़ी आफत बनकर परिवार पर टूट पड़ा लेकिन वो टूटा नहीं। बहन के बच्चों की पढ़ाई के लिए अपनी खुद की पढ़ाई छोड़ी। घर खर्च सुचारु रूप से चल सके इसलिए वो एक स्कूल में पढ़ाने लगा। एक दोस्त की सलाह पर नौकरी पाने के लिए कबड्डी खेलना शुरू किया। मगर आज वो देश में इस खेल का स्टार बन गया है। यह कहानी है हरियाणा के रोहतक जिले के चमरिया गांव में जन्मे दीपक हुड्डा की।

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रोहतक की मिट्टी में कबड्डी खेलने वाले दीपक का नाम अब प्रो-कबड्डी में सबसे महंगे खिलाड़ियों में आता है। दीपक ने जीवन में कड़े संघर्ष और परेशानियों का सामना किया है। 10 जून 1994 को जन्मे दीपक ने कभी हार नहीं मानी और अपना पेट पालने के साथ-साथ अपने सपनों को भी जिंदा रखा और संघर्ष की एक नई नज़ीर पेश की। माँ-बाप का साया उठने के बाद दीपक ने पार्ट टाइम जॉब कर अपनी पढाई जारी रखी और अपने खेल को तराशा। खेल के प्रति जुनून ही था जो खुली आँखों से देखे गए सपनों ने उनकी नींद गायब कर दी थी। नतीजतन, वो सुबह तीन बजे उठकर ट्रेनिंग करते और सात बजे स्कूल जाते फिर कुछ समय खेत में देते। हालाँकि गाँव में खेल का कोई माहौल नहीं था लेकिन उनका जुनून था कबड्डी में कुछ करने का जिसके चलते वो मीलों की दूरी तय कर दूसरे गाँव जाकर कबड्डी खेलते थे। अपने सपनों को पूरा करने के लिए अपनी प्रतिभा को तराशते रहे।

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फिर साल 2014 में शुरू हुए पीकेएल (प्रो कबड्डी लीग) ने दीपक को नई पहचान के साथ आर्थिक मजबूती प्रदान की। पीकेएल के शुरुआत में उन्हें तेलुगु टाइटंस ने 12 लाख 60 हजार में ही खरीदा था। उनके बढिया खेल प्रदर्शन को देखते हुए उन्हें पुणेरी पलटन की कप्तानी करने का मौका मिला। साल 2016 में हुए साउथ एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल जीतने वाली भारतीय कबड्डी टीम का हिस्सा भी बने। पीकेएल के छठे सीजन में उन्हें अभिषेक बच्चन की टीम जयपुर पिंक पैंथर्स ने 1.15 करोड़ रुपए में अपने साथ जोड़ा। इसके साथ ही वो प्रो कबड्डी लीग में सबसे महंगे खिलाड़ियों में से एक बने। वीवो प्रो कबड्डी लीग के सीजन 6 में हुड्डा जयपुर पिंक पैंथर्स का हिस्सा रहे थे। आज दीपक निवास हुड्डा कबड्डी के जाने माने चेहरा हैं। कभी बेबसी में अपना बचपन गुजार चुके दीपक आज युवाओं के लिए प्रेरणा बने हुए हैं।