साल 1951, पहले एशियन गेम्स का चौथा दिन, 22 साल का गठीले बदन वाला एक बंबईया लड़का लेवी पिंटो 100 मीटर रेस में भारत का प्रतिनिधित्व करने को तैयार है। रेफरी के फॉयर करते ही रेस शुरू हुई और 10 सेकेंड में ही एशिया के सबसे तेज धावक का फैसला हो गया।
भारत के लेवी पिंटो ने तोशिहिरो ओशाही और टॉमियो होसोडा की जापानी जोड़ी को पछाड़ते हुए इतिहास रच दिया। पिंटो ने 100 मीटर रेस में 10.8 सेकेंड का समय निकालते हुए एशिया के सबसे तेज व्यक्ति का खिताब अपने नाम किया। आइये जानते हैं लेवी पिंटो की शानदार कहानी के बारे में…..
पिंटो भले ही 23 अक्टूबर 1929 को केन्या के नैरोबी में पैदा हुए लेकिन उनकी जड़े हमेशा से अपने देश से जुड़ी रहीं। पिंटो के जन्म के बाद उनका परिवार केन्या से बंबई शिफ्ट हो गया। साउथ बॉम्बे के धोबी तालाओ एरिया में पले बढ़े पिंटो ने प्रतिष्ठित सेंट जेवियर स्कूल एंड कॉलेज से पढ़ाई पूरी की।
स्कूल के दिनों से ही पिंटो शानदार एथलीट थे और कई प्रतियोगिताओं में बढ़-चढकर भाग लिया करते थे। साल 1948 में पिंटो ने अपनी मैट्रिकुलेशन पूरी की। पिंटो साल 1949 में पहली बार उस समय सुर्खियों में आए जब उन्होंने बॉंबे स्टेट एथलेटिक्स मीट में भाग लिया। इस टूर्नामेंट में उन्होंने 100 और 200 मीटर में गोल्ड मेडल जीतकर सनसनी मचा दी।
इसके बाद पिंटो ने स्टेट लेवल के साथ-साथ नेशनल लेवल पर भी अपना शानदार प्रदर्शन किया। साल 1950 उनके एथलेटिक्स करियर का टर्निंग पाइट साबित हुआ। इस साल उन्होंने इंडियन ओलंपिक गेम्स के 14वें एडिशन में 200 मीटर में नेशनल रिकॉर्ड बनाया। उन्होंने सेकेंड हीट में 21.8 सेकेंड का समय निकालते हुए ये कीर्तिमान स्थापित किया। इसके अगले दिन पिंटो ने इसी इवेंट में 0.1 सेकेंड से अपना रिकॉर्ड धवस्त कर नया नेशनल रिकॉर्ड बना दिया।
इस घटना के 1 साल बाद फिर वो घड़ी आई जिसका पिंटो बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। पहले एशियन गेम्स का आयोजन नई दिल्ली में हो रहा था। 100 मीटर रेस पर सभी की निगाहें टिकी हुई थी। रेफरी के फॉयर करते ही एशियाई देशों के धावकों ने दौड़ लगा दी। पिंटो ने काफी खराब शुरूआत की। 50 मीटर की दूरी तय करने बाद, पिंटो जापान के धावक तोशिहिरो से 2 यार्ड पीछे थे। लेकिन एक बार लय में आने के बाद पिंटो ने सबको पीछे छोड़ते हुए 100 मीटर का गोल्ड अपने नाम कर लिया।

लेवी पिंटो
पिंटो ने इसी एशियन गेम्स में 200 मीटर का गोल्ड भी अपने नाम किया। पिंटो 22.6 सेकेंड का समय निकालकर पहले स्थान पर रहे। एक ही एशियन गेम्स में स्प्रिंट में लगातार 2 गोल्ड जीतकर पिंटो एशिया में भारत की धाक जमा चुके थे। पिंटो 4X400 मीटर रिले रेस में सिल्वर जीतने वाली टीम का भी हिस्सा रहे।
लेवी पिंटो ने अपने दम पर एशियन गेम्स में जो इतिहास रचा वो आज भी कायम हैं। एशियन गेम्स में 100 मीटर रेस में भारत का ये पहला मेडल था। दुर्भाग्य से 100 मीटर में भारत का ये आखिरी मेडल भी साबित हुआ। आज तक कोई भी भारतीय लेवी पिटों के इस कारनामे को दोहरा नहीं सका है।
एशियन गेम्स में कमाल करने के बाद पिंटो ने नेशनल लेवर पर कई सालों तक अपनी बादशाहत कायम रखी। एथलेटिक्स से रिटायर होने के बाद पिंटो टाटा, एयर इंडिया और ताजमहल होटल से जुड़ रहे। साल 1969 में लेवी पिंटो अमेरिका के शिकागो चले गए। लेवी पिंटो का एथलेटिक करियर हर भारतीय एथलीट के लिए हमेशा प्रेरणा स्त्रोत बना रहेगा।