आमतौर पर बॉडी बिल्डिंग को पुरुषों का हक समझा जाता है। यही नहीं सारी दुनिया में इसे खेल के तौर पर भी महिलाओं के लिए किसी पूरा न कर पाने वाले सपने के समान समझा जाता है। ऐसे में हम आपको उन महिला बॉडी बिल्डर्स के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने इस रूढ़िवादी मान्यता को तोड़ते हुए सारी दुनिया के सामने मिसाल पेश की है। इन महिलाओं ने इंटरनेशनल स्तर पर अपनी प्रतिभा और मेहनत को सामने लाकर कई बड़े खिताब अपने नाम किए।
इसाबेल टुरेल

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एक अस्वस्थ बच्ची से आईएफबीबी प्रोफेशनल बॉडी बिल्डर बनने तक का टुरेल का जीवन संघर्ष बहुत लंबा है। इन्होंने अपनी वेबसाइट पर अपने जीवन संघर्ष की कहानी साझा की है। इसमें वो कहती हैं कि मुझे स्पोर्ट्स हमेशा से ही बहुत पसंद था। इसकी वजह से मुझे अपने आपको फिट रखना पड़ता था। मैं यह मानती हूं कि शुरुआती दिनों में मैं एक मोटी और छोटी लड़की हुआ करती थी। मेरा पेट ज्यादा और जांघों में मांस बहुत अधिक हुआ करता था। यही वजह थी कि मुझे थंडर जांघों वाली कहकर पुकारा जाता था। कभी कभार यूं ही मैं व्यायाम वाले वजन उठा लिया करती थी। पर सच तो यह है कि मुझे सही से ट्रेनिंग करना नहीं आता था। फिर जब मैं 20 साल की हुई तो मेरी जिंदगी पूरी तरह से बदल गई। हालांकि मैं कभी भी बॉडी बिल्डिंग या मांसपेशियां बनाने में रुचि नहीं लेती थी, क्योंकि यह काम मुझे बेवकूफी भरा लगता था।
सोफी आर्वेब्रिंक

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सोफी की नागरिकता की बात की जाए तो वो आधी थाई हैं तो वहीं आधी स्वेडिश। आज उन्हें पूरी दुनिया उनकी अद्भुत बॉ़डी की वजह से जानती और पहचानती है। इनका बॉडी बिल्डिंग का सफर 18 साल की उम्र में शुरू हुआ। उस वक्त वो काफी मोटी हुआ करती थीं। इसके बाद उन्होंने एक दिन सुनिश्चित किया कि वो जिम जाएंगी। फिर क्या था देखते ही देखते उनकी मेहनत, लगन की बदौलत उन्होंने चंद दिनों में ही एक शानदार बॉडी बना ली। सोफी ने 2 साल की ही ट्रेनिंग में करीब 30 पाउंड्स का क्वालिटी मास हासिल कर लिया। इसके बाद इन्होंने एक स्वेडिश मैगज़ीन के लिए मॉडलिंग शुरू कर दी और जल्द ही एक स्पॉन्सर्ड एथलीट बन गईं।
नतालिया कुज़नेत्सोवा

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वर्ल्ड आर्म लिफ्टिंग चैंपियन नतालिया कुज़नेत्सोवा एक रूसी महिला बॉडी बिल्डर हैं। यहीं नहीं वो वर्ल्ड बेंच प्रेस और डेडलिफ्ट चैम्पियन भी हैं। बेहद कम उम्र में ही इन्हें बॉडी बिल्डिंग का जुनून सवार हुआ। जिसके बाद महज 14 साल की उम्र में ही वो पॉवर लिफ्टर बनने के लिए मेहनत करने लगीं। तब से लेकर अब तक कुज़नेत्सोवा ने कई चैंपियशिप जीतीं और कई रिकॉर्ड अपने नाम किए।
दीपिका चौधरी

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इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ बॉडी बिल्डिंग (आईएफबीबी) ने 2016 में दीपिका को अपने फीगर डिवीजन के मानकों के आधार पर एक प्रोफेशनल एथलीट करार दिया। वो पहली भारतीय महिला हैं, जिन्होंने बॉडी बिल्डिंग की कई अन्तरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया और “बैटल ऑफ द बीच” में प्रथम स्थान हासिल किया। इसके साथ ही उन्होंने 2014 के एफटी. लॉडरडेल कप में भी प्रथम स्थान हासिल किया। तब से लेकर अब तक वो कोई न कोई कीर्तिमान हासिल करती चली आ रही हैं।
दीपिका पेशे से विषाणु वैज्ञानिक हैं। वो खुद पर भरोसा करती हैं और यह मानती हैं कि वो देश का नाम दोनों ही क्षेत्रों में रोशन कर सकती हैं।
रेने कैम्पबेल

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ब्रिटिश नेशनल चैम्पियन रेने कैम्पबेल सप्ताह के पांच दिनों में दो घंटे वर्कआउट करके अपनी बॉडी को शानदार शेप देती हैं। एक लम्बे अरसे तक लम्बी दौड़ और ट्राईथलॉन्स करके उन्होंने अपने आपको चैलेंज दिया। जिसके बाद उन्होंने आठ अलग प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया।
अपने एक वक्तव्य में उन्होंने कहा कि मुझे मस्कुलर होना ताकतवर महसूस करता है। यह किसी दूसरे को खुश करने से ज्यादा मेरी खुद की खुशी के लिए ज्यादा मायने रखता है।