मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता हौसलो से उड़ान होती है…। यह शेर एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल जीतने वाली स्वप्ना बर्मन पर सटीक बैठता है जिनके जन्म से ही दोनों पैरों में 6-6 अंगुलियां हैं, लेकिन इन्होंने हार नहीं मानी और इस परेशानी को दरकिनार कर उसे अपनी ताकत बना लिया। और अब एशियन गेम्स में हेप्टाथलन में गोल्ड मेडल जीतकर नया इतिहास रच दिया है।
21 साल की बर्मन ने दो दिन तक चली सात स्पर्धाओं में 6026 अंक हासिल किए। इस दौरान उन्होंने ऊंची कूद (1003 अंक) और भाला फेंक (872 अंक) में पहला तथा गोला फेंक (707 अंक) और लंबी कूद (865 अंक) में दूसरा स्थान हासिल किया था। स्वप्ना हेप्टाथलन में सोने का तमगा जीतने वाली पहली भारतीय हैं।

बर्मन से पहले बंगाल की सोमा बिस्वास, कर्नाटक की जेजे शोभा और प्रमिला अयप्पा ने एशियाई खेलों में इस स्पर्धा में मेडल हासिल किया था। बिस्वास और शोभा बुसान एशियाई खेल (2002) और दोहा एशियाई खेल (2006) में क्रमश: दूसरे और तीसरे स्थान पर रही थी जबकि प्रमिला ने ग्वांग्झू (2010) में कांस्य पदक जीता था।
स्वप्ना काफी गरीब परिवार से आती है और उसके लिए अपनी ट्रेनिंग का खर्च उठाना काफी मुश्किल होता है। लेकिन वो कहते हैं न जहां चाह है वहां राह है। इसी कहावत को सच करते हुए स्वप्ना ने जो हासिल किया है वो अन्य एथलीटों के लिए एक मिसाल है।

स्वप्ना का ये प्रदर्शन इसलिए भी असाधारण है क्योंकि पिछले 2 दिनों से उनके जबड़े में काफी सूजन थी, जिसकी वजह से इस पूरी स्पर्धा के दौरान वह भयंकर दर्द से जूझ रही थी। इस दर्द से निपटने के लिए उन्होंने गाल पर टेप लगाकर इवेंट्स में भाग लिया और अपने दर्द को भुलाकर भारत की झोली में 11वां गोल्ड डाल दिया।

आपको बता दें कि पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के छोटे से गांव से आने वाली स्वप्ना की एशियन गेम्स में मेडल जीतने तक की यात्रा काफी संघर्षों से भरी रही है। स्वप्ना के पिता पंचन बर्मन रिक्शा चलाते थे लेकिन साल 2013 में स्ट्रोक आने के बाद से वो बिस्तर पर हैं। वहीं उनकी मां बशोना बर्मन चाय के बागान में मजदूरी करती है।
जैसे ही स्वप्ना ने मेडल जीता वैसे स्वप्ना के घर के बाहर लोगों को जमावड़ा लग गया और चारों तरफ मिठाइयां बांटी जाने लगीं। अपनी बेटी की सफलता से खुश स्वप्ना की मां बाशोना इतनी भावुक हो गई थीं कि उनके मुंह से शब्द नहीं निकल रहे थे।
#SwapnaBarman Who bags GOLD for India yest. in Heptathlon belongs to this family, She is her mother crying after watching her win GOLD for the country and thanks god #AsianGames2018 pic.twitter.com/zMpr6CSAWz
— Pratishta Jain (@PratishtaJain) August 30, 2018
बंगाल की इस एथलीट के परिवार की माली हालत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनके घर की दीवार अभी भी टिन शेड की बनीं हैं। स्वप्ना जो भी राशि टूर्नामेंट में जीतती हैं उससे ही उनके घर का खर्चा चलता है। यही वजह है कि ज्यादा से ज्यादा पैसे कमाने के चक्कर में उन्हें छोटे-छोटे टू्र्नामेंट में हिस्सा लेना पड़ता था। इस दौरान उन्हें कई बार चोटों का भी सामना करना पड़ा।
स्वप्ना को अपने लिए सही जूतों के लिए संघर्ष करना पड़ता हैं क्योंकि उनके दोनों पैरों में 6-6 उंगलियां हैं। पांव की अतिरिक्त चौड़ाई खेलों में उनकी लैंडिंग को मुश्किल बना देती है इसी कारण उनके जूते जल्दी फट जाते हैं। यही वजह है कि मेडल जीतने के बाद उन्होंने अपने लिए खास जूतों की अपील भी की है।

इन सबके बीच स्वप्ना अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए कई सालों से सरकारी नौकरी की गुहार लगा रही है, लेकिन अभी तक किसी भी सरकारी संस्थान ने इसकी सुध नहीं ली है। लेकिन अब एशियन गेम्स में मेडल जीतने के बाद उनकी इस समस्या के हल होने की उम्मीद नजर आ रही है।