गरीबी और मुफलिसी चाहे लाख कोशिश कर ले, मेहनतकश इंसान एक न एक दिन सफलता के शिखर तक पहुँच ही जाता है। कहते है, कुछ कर गुजरने की चाहत रखने वाले अक्सर अपनी मंज़िल खुद-ब-खुद तलाश लेते हैं। ऐसी ही एक प्रेरणादायक कहानी है मध्यप्रदेश के भोपाल निवासी मनीषा कीर की जिन्होंने अपने बलबूते सफलता के कीर्तिमान बनाये हैं।
19 वर्षीय मनीषा के लिए नंबर वन के पायदान तक पहुंचने का सफर आसान नहीं था। चार साल पहले भोपाल स्थित एक बड़े से तालाब में पिता के साथ मछली पकड़ने का काम करती थी। कभी मनीषा के दिन की शुरुआत भोपाल की झील में मछलियां पकड़ने में पिता की मदद करने से शुरू होती थी और शाम जाल बटोर कर रखने से खत्म हुआ करती थी।
आपको बता दें मनीषा 8 भाई-बहनों में से एक हैं। उनके भाई-बहनों में कोई भी 8वीं क्लास से अधिक पढ़ा-लिखा नहीं है। पांच बेटी और तीन बेटों वाले परिवार में पिता की आर्थिक स्थिति खराब होने के चलते काफ़ी परेशानियों का सामना करना पड़ा। लेकिन सभी दिक्क्त्तों को दरकिनार करते हुए उन्होंने सफलता की ओर अपना कदम बढ़ाए रखा जिसकी वजह से आज उनकी ज़िन्दगी बदल गयी है। मनीषा ने तीन नैशनल और दो इंटरनैशनल इवेंट में हिस्सा लिया और अब तक उन्होंने 10 मेडल अपने नाम किये हैं। जिसके साथ ही एक साधारण से मछुआरे की बेटी मनीषा देश की नंबर वन शूटर बन गई हैं।

Pictur Source :- Twitter/ ISSF
दक्षिण कोरिया में 52वीं आईएसएसएस वर्ल्ड शूटिंग चैंपियनशिप में मध्य प्रदेश की मनीषा कीर ने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए वर्ल्ड रिकार्ड की बराबरी करते हुए देश को रजत पदक दिलवाया था। इसके अलावा उन्होंने मई 2016 में फिनलैंड में जूनियर शॉटगन कप में गोल्ड जीता जिसके साथ ही वर्ल्ड चैंपियनशिप में रजत पदक जीतने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी बन गई।
मनीषा ने कभी ख्वाब में भी नहीं सोचा था कि उसे शूटर बनना है, उनकी बड़ी बहन ने उनके अंदर के हुनर को परखा और उन्हे शूटिंग एकेडमी में चयन के लिए लेकर गई। किस्मत से वहां उनका पहले ही प्रयास में चयन हो गया। मनीषा फिलहाल मध्य प्रदेश खेल विभाग की शूटिंग एकेडमी में ट्रेनिंग ले रही है। मनीषा उस दिन को याद करते हुए बताती हैं कि “मैंने जिंदगी में इसके पहले कभी गन या राइफल नहीं थामी थी। ‘मछली पकड़ने के जाल’ की जगह पहली बार उन्होंने राइफल थामी थी”। गौरतलब है कि मनीषा की असली मंजिल 2020 टोक्यो ओलिंपिक में भारत के लिए स्वर्ण पदक जीतना है। कभी परिवार का पेट पालने में पिता की मदद करने वाली मनीषा आज देश की ओलिंपिक मेडल की उम्मीद है।