आईपीएल-10 के दूसरे मुकाबले में आज कोलकाता नाइट राइडर्स और रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के बीच भिड़ंत होगी। कोलकाता टूर्नामेंट में 6 में से 4 मुकाबले जीतने के साथ प्वाइंट टेबल पर दूसरे स्थान पर है वहीं दिग्गज़ खिलाड़ियों की भरमार वाली आरसीबी अब तक टूर्नामेंट में अपना कमाल नहीं दिखा पाई है। उसने 6 में से केवल 2 मैच जीते हैं। इतिहास के पन्नों में भी आरसीबी का रिकॉर्ड केकेआर के खिलाफ अच्छा नहीं रहा है। आईपीएल के सातवें सीजन में आरसीबी के पास बड़े बड़े खिलाड़ियों की फेहरिस्त थी ,लेकिन रोमांचक मुकाबले में केकेआर ने 2 रन से जीत दर्ज की थी। पहले बल्लेबाजी करने उतरी केकेआर की शुरुआत बेहद खराब रही। कप्तान गौतम गंभीर बिना खाता खोले ही पवेलियन लौट गए। गौतम टूर्नामेंट में लगातार तीसरी बार जीरो पर आउट हुए थे। युवा खिलाड़ी मनीष पाण्डेय भी कमाल नहीं कर सके और एल्बी मोर्केल की गेंद पर (5 रन ) बनाकर आउट हो गए। 10 रन पर दो विकेट गंवा चुकी टीम को जैक कैलिस (43) और क्रिस लिन (45) ने 80 रन की साझेदारी कर कोलकाता को संभाला। अंतिम ओवरों में रॉबिन उथप्पा (22) और सूर्य कुमार यादव (24 नाबाद) ने तेजी से रन बटोरे और टीम का स्कोर 150 रन तक पहुंचाया। आरसीबी के सामने 151 रन का लक्ष्य था।
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साल 2008 में शुरू हुए आईपीएल में बीते सालों में न जाने कितने विवाद हुए और न जाने कितने खिलाड़ियों का अभद्र व्यवहार दर्शकों के सामने आया।
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बात भारत और क्रिकेट की हो और महेंद्र सिंह धोनी का जिक्र न हो, ये तो नामुम्किन है।
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सचिन तेंदुलकर को यूं ही क्रिकेट का भगवान नहीं कहते। कोई भी मैदान, कोई भी टीम, कोई भी गेंदबाज..और यहां तक कि कोई भी फॉर्मेट हो, सचिन की महानता पर कोई फर्क नहीं पड़ा। मास्टर की बल्लेबाजी में वही क्लास और वही धार बरकरार रही। आईपीएल में भी सचिन जब तक खेले, टॉप स्कोरर में शुमार रहे। इस दिग्गज बल्लेबाज़ ने आज ही के दिन यानी 13 मई साल 2013 में अपना आख़िरी आईपीएल मुकाबला खेला था। इस मौके पर याद करते है सचिन की आईपीएल में खेली वो विस्फोटक पारी जो आज भी हमारे दिल और ज़हन में बसी हुई है। सचिन की कई बेहतरीन पारियों में से एक रही 17 मार्च साल 2010 में दिल्ली के फिरोजशाह कोटला पर दिल्ली डेयरडेविल्स के खिलाफ खेली गई उनकी आतिशी पारी। ये सचिन की सबसे विस्फोटक आईपीएल पारी भी मानी जा सकती है, जहां मास्टर ने 196.87 के करिश्माई स्ट्राइक रेट से बल्लेबाजी की। डेयरडेविल्स ने टॉस जीतकर पहले मुंबई को बल्लेबाजी के लिए उतारा। दिल्ली के कप्तान गौतम गंभीर के इस फैसले को मुंबई के कप्तान सचिन तेंदुलकर ने गलत साबित करने की ठान ली। सचिन ने अपनी पहली ही गेंद पर चौका लगाकर इरादे जाहिर कर दिए। अगले ही ओवर में सचिन ने परवेज माहरूफ की गेंद को विकेट से एक कदम बाहर आकर चौका लगाया। माहरूफ के अगले ओवर में सचिन ने चार चौके जड़े।
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विराट कोहली को भारतीय क्रिकेट की कप्तानी के मामले में महेंद्र सिंह धोनी की उत्तराधिकारी कहा जाता है।
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आईपीएल 2016 में दिल्ली डेयरडेविल्स बनाम किंग्स इलेवन पंजाब मैच की काफी अहमियत हो चुकी थी। दोनों ही टीम ये मैच जीतकर ग्रुप में अपनी स्थिति मजबूत करना चाह रही थीं। खासकर दिल्ली के मैच ज्यादा अहम था। दोनों टीम पिछली बार मोहाली में टकराईं थीं, जहां पंजाब को नजदीकी जीत हासिल हुई थी। इस बार मुकाबला दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान पर था। लिहाजा दिल्ली को होम ग्राउंड पर जीत की पूरी उम्मीद थी। टॉस दिल्ली ने जीता और पहले गेंदबाजी का फैसला किया। पंजाब की शुरुआत खराब रही और इनफॉर्म बैट्समैन मुरली विजय (1) पारी के दूसरे ओवर में ही रन आउट हो गए। इसी का फायदा उठाया दिल्ली के कप्तान जहीर खान ने और पंजाब पर शिकंजा कस लिया।
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रॉयल चैलेंजर्स बौंगलोर के कप्तान विराट कोहली इंडियन प्रीमियर लीग के दसवें सीजन में अपना पहला मुकाबला खेलने उतरे। मुकाबला मुंबई इंडियन्स के खिलाफ था। मैदान पर उनके आने से आईपीएल में एक नया रोमांच होगा। नए जोश के साथ आरसीबी की टीम मैदान में उतरी है। कोहली खुद मैदान पर अलग तेवर के साथ रहते हैं। कोहली मैच की हर गेंद का अपने ही अंदाज में एहसास करते हैं। जैसे-जैसे मैच में रोमांच बढ़ता है औऱ विरोधी टीम ऊपर होने की कोशिश करती है कोहली का गुस्सा भी सातवें आसमान पर पहुंचता दिखता है। ऐसा ही कुछ देखने को मिला था आईपीएल के पिछले सीजन के क्वालीफायर मुकाबले में। कोहली ने मुकाबले में ऐसा कैच लपका कि विवाद और कन्फ्यूजन दोनो एक साथ पैदा हो गए। कोहली ने कैच लिया लेकिन उनका हाव भाव ऐसा था जैसे कैच ड्रॉप हो गया हो। लेकिन थर्ड अंपायर के फैसले के बाद सबकुछ साफ हो पाया।
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टी-20 क्रिकेट की पहचान यूं तो धमाकेदार बल्लेबाजी और धुआंधार बरसते चौके-छक्के के लिए है। मगर गेंदबाजों का भी इसमें कम जोर नहीं रहा है। कई मौकों पर गेंदबाजों ने अपनी टीम को अहम मौकों से मैच जिताए हैं। तो कई मौकों पर कम स्कोर का भी गेंदबाजों ने सफलता के साथ बचाव किया है।
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साल 2016 के आईपीएल के पहले पनपे स्पॉट फिक्सिंग विवाद में लीग की दो दिग्गज टीमों को निलंबित कर दिया गया था।
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गुजरात लॉयन्स ने आईपीएल के 2016 सीजन से अपने अभियान की शुरुआत की।
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आईपीएल-9 की शुरुआत में कोलकाता नाइट राइडर्स, मुंबई इंडियंस, राइजिंग पुणे जैसी टीमें हॉट फेवरेट थीं।
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आईपीएल के शुरुआती कुछ सीजन की असफलता के बाद कोलकाता नाइड राइडर्स इस लीग की सबसे खतरनाक टीमों में से एक बनकर उभरी।
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साल 2016 का आईपीएल शुरू होने के वक्त विराट कोहली के नाम एक भी टी-20 शतक नहीं था।
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जब विश्व क्रिकेट के दो सबसे धुरंधर और धमाकेदार बल्लेबाज साथ बल्लेबाजी करें और वो भी पूरी लय में, तो गेंदबाजों को दोष नहीं दिया जा सकता।
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साल 2000 के बाद से भारतीय टीम के तेज गेंदबाजों का जिक्र होगा, तो उसमें बेशक जहीर खान का नाम चोटी पर होगा।
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युवराज सिंह जैसा मैच विनर धमाकेदार पारी खेले और उनकी टीम को जीत न मिले, ऐसे मौके कम ही आते हैं।
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रॉबिन उथप्पा भले ही भारतीय टीम का हिस्सा न हों, मगर लिमिटेड ओवर क्रिकेट में उनकी काबिलियत और विध्वंसक छवि किसी से छिपी नहीं है।
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आईपीएल-8 में कोलकाता नाइड राइडर्स और रॉयल चैलेंजर्स बैंग्लोर की भिड़ंत बेंगलूरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम पर हुई।
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हार-जीत तो खेल का हिस्सा होता है, लेकिन लक्ष्य के बेहद करीब पहुंचकर हार जाना दिल तोड़ने वाला रहता है।
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आरसीबी की पहचान उनकी दमदार बल्लेबाजी लाइनअप से रही है, लेकिन कई मौकों पर इस टीम ने अपने हरफनमौला खेल से भी लोगों को चौंका दिया है।
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आईपीएल-8 के क्वालीफायर-2 में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलूरु का मुकाबला चेन्नई सुपरकिंग्स से हुआ।
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आईपीएल-सीजन 8 में एक बार फिर सीजन-6 जैसा नजारा देखने को मिला। हम बात कर रहे हैं टूर्नामेंट के फाइनल की।
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साल 2014 के आईपीएल फाइनल में क्रिकेट के साथ-साथ बॉलीवुड भी आमने-सामने आ गया था।
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किंग्स इलेवन पंजाब टीम के लिए आईपीएल के पहले छह सीजन किसी बुरे सपने से कम नहीं रहे।
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कोलकाता नाइड राइडर्स के लिए आईपीएल के शुरुआती कुछ सीजन खराब रहे थे।
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युवराज सिंह को यूं ही मॉर्डन क्रिकेट के सबसे बड़े मैच विनर्स में नहीं गिना जाता। रंग में होने पर पंजाब का ये स्टाइलिश बल्लेबाज अकेले दम पर मैच जिताने की कुव्वत रखता है।
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टी-20 के मुकाबले का रोमांच अलग ही होता है। फिर अगर कोई मैच टाई हो जाए, तब तो क्या कहने..क्योंकि इससे सुपरओवर का रोमांच भी मैच में जुड़ जाता है।
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विराट कोहली उन चुनिंदा खिलाड़ियों में से एक हैं, जिन्होंने इंडियन प्रीमियर लीग के पहले सीजन से लेकर हालिया सीजन तक लगातार एक ही फ्रेंचाइजी की ओर से खेला है।
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जिस टीम में युवराज सिंह, विराट कोहली, एबी डिविलियर्स और एल्बी मॉर्कल जैसे खिलाड़ी हों, उसके लिए 150 रन का लक्ष्य हासिल करना मुश्किल नहीं कहा जा सकता।
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रविंद्र जडेजा जिस भी टीम में होते हैं, काफी उपयोगी साबित होते हैं।
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टी-20 क्रिकेट में अगर कोई टीम 200 रन से ज्यादा का स्कोर खड़ा कर दे, तो उसे चेज करना विरोधी टीम के लिए बिल्कुल वैसा ही होता है, जैसा वनडे मैच में 400 रन चेज करना।
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आईपीएल-4 में मुंबई इंडियंस और चेन्नई सुपरकिंग्स जब पहली बार टकराए तो बाजी दो रन से चेन्नई के हाथ लगी।
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रॉबिन उथप्पा भले ही लंबे वक्त तक भारतीय क्रिकेट टीम का हिस्सा न रहे हों, लेकिन क्रिकेट फैन्स के दिल पर छाप छोड़ने में सफल रहे।
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आईपीएल-2 टीम इंडिया के सिक्सर किंग युवराज सिंह के लिए कुछ खास नहीं चल रहा था।
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आईपीएल का दूसरा सीजन अफ्रीका में हुआ। जगह बदली, लेकिन टूर्नामेंट का रोमांच वही रहा।
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आईपीएल-1 में जब कोलकाता के ईडन गार्डन्स पर कोलकाता नाइट राइडर्स और दिल्ली डेयरडेविल्स भिड़े, तो रोमांच ने मैच शुरू होने से पहले ही सारी सीमाएं लांघ दी। कारण था सिर्फ एक खिलाड़ी, जो इस मैच के साथ ही आईपीएल में अपना डेब्यू करने वाला था।
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गेंदबाज किस तरह एक खेल का रुख पलट सकते हैं, इसकी मिसाल रहा आईपीएल-1 का रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर बनाम डेक्कन चार्जर्स हैदराबाद मैच।
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आईपीएल का पहला सीजन इस मायने में बेहद खास रहा कि हर टीम ने इस दौरान अपने लिए सही कॉम्बिनेशन और अपनी ताकत-कमजोरियां जानीं।
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चेन्नई सुपरकिंग्स की गिनती बेशक आईपीएल की सबसे खतरनाक टीमों में होती रही है।
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विराट कोहली जैसा धुआंधार बल्लेबाज भी नर्वस नाइंटीज का शिकार हो सकता है, ये बात सुनने में कुछ अजीब लगती है।
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आईपीएल-6 में महेंद्र सिंह धोनी का फिनिशिंग अंदाज अभी तक कुछ बुझा-बुझा सा नजर आया था।
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आईपीएल-6 में आरसीबी सुपरओवर में एक हार का सामना कर चुकी थी।
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आईपीएल-6 में रॉयल चैलेंजर्स बैंग्लोर और सनराइजर्स हैदराबाद के बीच पहला मुकाबला बेहद रोमांचक रहा था।
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टी-20 का मैच और सुपरओवर से फैसला..इससे ज्यादा रोमांचक क्या हो सकता है।
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महेंद्र सिंह धोनी की साख विश्व क्रिकेट में ग्रेटेस्ट फिनिशर की है। ज्यादातर मौकों पर आखिरी तक रुककर धोनी ने टीम को जीत दिलाई है।
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टी-20 को यूं तो बल्लेबाजों का खेल कहा जाता है, मगर गेंदबाजों का भी जलवा कम नहीं रहा है।
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विराट कोहली भारतीय टीम की ओर से जोरदार बल्लेबाजी कर सबका ध्यान अपनी ओर खींच चुके थे।
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इंडियन प्रीमियर लीग के आगाज के वक्त से ही कोलकाता नाइड राइडर्स सबसे हाई-प्रोफाइल टीमों में से एक थी।
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आईपीएल-5 के एलिमिनेटर मुकाबले में चेन्नई सुपरकिंग्स और मुंबई इंडियंस की भिड़ंत हुई।
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टी-20 का खेल ही ऐसा है, जहां कई मुकाबलों में मैच बेहद नजदीकी रहते हैं।
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अजिंक्य रहाणे का नाम भारत के कम्प्लीट बैट्समैन में गिना जाता है।
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50 ओवर के मैच के बाद जब 20 ओवर के मैच सामने आए, तो क्रिकेट फैन्स ने इस फॉर्मेट को भी हाथों-हाथ लिया।
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किसी भी खिताब को जीतना जितना मुश्किल होता है, उससे भी कहीं ज्यादा चुनौती भरा होता है उस खिताब को बरकरार रखना।
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आईपीएल-4 के क्वालीफायर-2 में रॉयल चैलेंजर्स बैंग्लोर की भिड़ंत मुंबई इंडियंस से हुई।
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विराट कोहली का बल्ला बोले और उनकी टीम को जीत नसीब न हो, ये बात आसानी से हज़म नहीं होती।
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चेन्नई सुपरकिंग्स की पहचान आईपीएल में हमेशा ही हरफनमौला और सबसे खतरनाक टीमों में से रही है।
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लसिथ मलिंगा का नाम ही बल्लेबाजों के जेहन में खौफ पैदा करने के लिए काफी है।
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इंडियन प्रीमियर लीग का नाम आते ही रोमांच की गारंटी मिल जाती है।
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जब चेन्नई सुपर किंग्स और किंग्स इलेवन पंजाब जैसी दो दमदार टीम आमने-सामने हों तो रोमांच होना तय है।
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आईपीएल के पहले दो सीजन में लगातार विदेशी कप्तानों की अगुवाई वाली टीमों ने ताज उठाया था।
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आईपीएल-3 में नंबर तीन की जंग में रॉयल चैलेंजर्स बैंग्लोर और डेक्कन चार्जर्स की भिड़ंत हुई।
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महेंद्र सिंह धोनी का बल्ला जब भी बोलता है, ज्यादातर मौकों पर टीम को जीत ही मिलती है।
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सौरव गांगुली के करिश्माई व्यक्तित्व और उनकी बल्लेबाजी के कायल आज भी कम नहीं हैं।
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आईपीएल अपने तीसरे सीजन के साथ एक बार फिर भारतीय धरती पर लौट आया था।
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आईपीएल-1 में राजस्थान रॉयल्स का फाइनल तक पहुंचना और खिताब जीतना बेहद चौंकाने वाला था।
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आईपीएल-2 का दूसरा सेमीफाइनल मुकाबला हुआ धाकड़ चेन्नई सुपर किंग्स और बेहद सुधार कर यहां तक पहुंची रॉयल चैलेंजर्स बेंगलूरु के बीच।
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टी-20 क्रिकेट के आने के साथ ही ये सोच तैयार हो गई कि ये फॉर्मेट युवा खिलाड़ियों के लिए ही बना है और पुराने खिलाड़ी इसमें मिसफिट हैं।
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राजस्थान रॉयल्स ने सबको चौंकाते हुए आईपीएल का पहला खिताब अपने नाम किया।
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इंडियन प्रीमियर लीग की सबसे चहेती टीम मे से एक रही चेन्नई सुपर किंग्स की खूबी ही ये थी कि इसमें हरफनमौला खिलाड़ियों की भरमार थी।
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आईपीएल के पहले सीजन में विदेशी खिलाड़ियों का ही ज्यादा बोलबाला रहा था।
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साल 2009 में आईपीएल का दूसरा सीजन भारत से बाहर खेला गया..दक्षिण अफ्रीका में।
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आईपीएल के पहले एडीशन के शुरू होने पर सभी को उम्मीद थी कि मुंबई, कोलकाता, पंजाब या चेन्नई जैसी धाकड़, महंगी और सितारों से सजी टीमों में से कोई ताज पहनेगी।
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सेमीफाइनल जैसे बड़े मैच में किसी भी टीम से उनके सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन की उम्मीद रहती है, मगर पंजाब ने इतने बड़े मैच में साधारण खेल दिखाकर फैन्स को निराश कर दिया।
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राजस्थान रॉयल्स ने आईपीएल 2008 के पहले सीजन में अपने प्रदर्शन से सबको चौंका दिया था।
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किसी भी स्पोट्र्स इवेंट का इससे धमाकेदार आगाज क्या हो सकता है? पहले दो मैच और दो धमाकेदार शतक।
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पुराना खेल….. तेवर-फ्लेवर नया और गूंज ऐसी कि दुनिया भर के दिग्गज एक मैदान पर जुट गए।