दारा सिंह भारतीय पहलवानी का वो सितारा थे जो अपने पूरे करियर में कभी नहीं हारे। 55 साल के रेसलिंग करियर में दारा सिंह ने लगभग 500 कुश्तियां लड़ी मगर पूरे विश्व में कोई भी पहलवान ऐसा नहीं था जो दारा सिंह को हराने का दमखम रखता था। अपने पूरे करियर में दारा सिंह ने विदेशों में जाकर भारतीय पहलवानी का डंका बजाया। उनको रुस्तम ए हिंद के नाम से भी जाना जाता है।
1928 में जन्मे दारा सिंह की शादी घरवालों ने कम उम्र में कर दी थी। उनके बारे में कहा जाता है कि वह दूध दही के साथ एक दिन में 100-100 बादाम खाते थे। उन्होंने अपने करियर की पहली प्रोफेशनल फाइट एक इटली के पहलवान के साथ लड़ी मुकाबला ड्रॉ रहा मगर मुकाबले में ज्यादातर समय वह ही हावी रहे थे।
1947 में वह पहलवानी में पूरी दुनिया जीतने निकल गए। मलेशिया के चैंपियन को हराकर के बाद उन्होंने दुनिया के और भी कई देशों में जाकर जीत हासिल की। लगातार 5 साल तक जीत हासिल करने के बाद 1952 में वह भारत वापस लौटे और इंडियन कुश्ती के चैंपियन बने।
ये वो दौर था जब दारा सिंह की लोकप्रियता अपने चरम पर थी। कनाडा के विश्व चैंपियन गार्डीयांका ने उन्हें चैलेंज किया। दारा सिंह से भिड़ने का परिणाम अपना टाइटल गंवाकर भुगतना पड़ा। मगर दारा सिंह के करियर की सबसे यादगार फाइट रही किंगकांग के साथ। 120 किलो के दारा सिंह और 200 किलो के किंग कांग के मुकाबले में दारा सिंह के जीतने की उम्मीद किसी को भी नहीं थी।
मगर रुस्तम ए हिंद दारा सिंह ने 200 किलो के दारा सिंह को अपने बाहुबल और चपलता से हराया। रांची में हुए इस मुकाबले में दारा सिंह ने किंग कांग को हराकर रिंग के बाहर फेंक दिया। बाद में उन्होंने फिल्मों में भी हाथ आजमाया और सफलता पाई। दारा सिंह ने अपने करियर की अंतिम फाइट 55 साल की उम्र में 1983 में लड़ी। इस उम्र में भी उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी पहलवान को चारो खाने चित कर दिया था। इस तरह दारा सिंह पूरी लाइफ विजयी रहे।