भारत के ओलंपिक पदक विजेता योगेश्वर दत्त पिछले महीनों के दौरान शीतल के साथ परिणय सूत्र में बंधे थे और इस दौरान उन्होंने सबको उस वक्त हैरानी में डाल दिया जब उन्होंने दहेज के रूप में सिर्फ के एक रुपया लिया।
इस संबंध में योगेश्वर ने कहा था, “मैंने अपने परिवार की लड़कियों को शादी के लिए दहेज जुटाने को लेकर जूझते हुए देखा है। इसलिए जब मैं बड़ा हो रहा था तो मैंने ये निश्चित किया था कि मैं कुश्ती में अपना नाम करूंगा और दहेज को स्वीकार नहीं करूंगा।” इसके अलावा उनकी शादी से उनके गांव को अच्छा खासा फायदा भी हुआ। दरअसल, उन्हें शादी की बधाई देने के लिए हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने योगेश्वर के गांव भैंसवाल कलां पहुंचकर गांव के विकास के लिए 10 करोड़ रुपये का तोहफा भी दिया था। खट्टर ने आगे कहा था कि पॉलिसी की शर्त पूरी होने पर गांव में कॉलेज खोल दिया जाएगा।
आपको बता दें भारतीय फ्रीस्टाइल रेसलर योगेश्वर ने साल 2012 समर ओलंपिक में 60 किग्रा. कैटेगिरी में ब्रॉन्ज मेडल जीता था। उन्हें साल 2013 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। उन्होंने साल 2014 कॉमनवेल्थ खेलों में गोल्ड मेडल जीता था। साल 2006 एशियन खेलों के पहले उनके पिता का देहांत हो गया था। उन्होंने अपने पिता के देहावसान के 10 दिन बाद दोहा के लिए फ्लाइट बोर्ड की। भले ही वह भीतर से दुखी थे लेकिन उन्होंने दोहा में 60 किग्रा. कैटेगिरी में अपने देश के लिए ब्रॉन्ज मेडल जीता था।
साल 2010 में योगेश्वर कॉमनवेल्थ खेलों के पहले घुटने की चोट से इतने परेशान हो गए थे कि उनके करियर पर बन आई थी। लेकिन टूर्नामेंट के ठीक पहले कठिन अभ्यास करके वह ठीक हो गए और भारत को गोल्ड मेडल जिताया। हरियाणा सरकार योगेश्वर को उनके जानदार प्रदर्शन के लिए ₹10 मिलियन का इनाम दे चुकी है। इसके अलावा साल 2012 में भारत सरकार ने उन्हें राजीव गांधी खेल रत्न से सम्मानित किया था। यकीनन योगेश्वर जैसे खिलाड़ी हमारे देश के लिए एक मिसाल हैं।