राष्ट्रमंडल खेलों का आयोजन इस बार ऑस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में हो रहा है। जहां भारत मैडल टैली में कहां होगा, वह बहुत हद तक रेसलरों के प्रदर्शन पर निर्भर रहेगा। पिछली बार ग्लासगो में भारत के पुरुष पहलवानों ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 3 गोल्ड, 3 सिल्वर और 1 ब्रांज मिलाकर 7 पदक जीते थे। ऐसे में इस बार उनका प्रदर्शन भी सबसे ज्यादा मायने रखता है। हालांकि इस बार कोटे में कटौती हुई है। जिसकी वजह से इस बार गोल्ड कोस्ट में भारत के सिर्फ 6 पहलवान ही मैट पर उतरेंगे।
27 वर्षीय इस भारतीय पहलवान पर इस बार बड़ी जिम्मेदारी होगी। राहुल पहली बार कॉमनवेल्थ प्रतियोगिता में भाग ले रहे हैं। उनसे पहले 57 किग्रा भर वर्ग में यूपी के पहलवान संदीप तोमर भारत का प्रतिनिधित्व करते थे।
राहुल अवारे
कॉमनवेल्थ खेल 2014 में बजरंग 61 किग्रा भारवर्ग में लड़े थे, जहां वह फाइनल में हार गए थे और उन्हें सिल्वर से संतोष करना पड़ा था। हालांकि इस बार वह अपने गुरु योगेश्वर दत्त के भारवर्ग 65 किग्रा में देश का प्रतिनिधित्व करेंगे। दत्त ने ग्लासगो में गोल्ड जीता था।
बजरंग पुनिया
भारतीय कुश्ती का सबसे बड़ा नाम पहलवान सुशील कुमार ग्लासगो में भारत को स्वर्ण दिला चुके हैं, इसके अलावा ओलंपिक में उनके नाम दो पदक दर्ज हैं। 74 किग्रा भारवर्ग में सुशील कुमार भारत का गोल्ड कोस्ट में प्रतिनिधित्व करेंगे।
सुशील कुमार
सोमवीर कादियान खानदानी रेसलर हैं, वह बचपन से ही अखाड़े में उतरना चाहते थे। हैवीवेट 87 किग्रा में वह भारत का प्रतिनिधित्व गोल्ड कोस्ट में करेंगे। वह भी पहली बार कॉमनवेल्थ खेलों में भाग ले रहे हैं।
सोमवीर
मौसम खत्री हरियाणा के सोनीपत जिले के रहने वाले हैं, एशियाई गेम्स 2010 में वह कांस्य पदक जीत चुके हैं। इसके अलावा दक्षिण एशियाई खेलों में वह गोल्ड भी जीत चुके हैं। 97 किग्रा भारवर्ग में वह पहली बार कॉमनवेल्थ खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे।
मौसम खत्री
हैवीवेट में पहलवान सुमित 125 किग्रा भारवर्ग में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे। साल 2017 में हुए एशियाई रेसलिंग चैंपियनशिप में सुमित ने सिल्वर मैडल जीता था। ऐसे में उनसे खासी उम्मीदें हैं।
सुमित