जकार्ता और पलेमबैंग में 18 अगस्त से शुरु होने वाले 18 वें एशियाई खेलों के लिए भारतीय दल पूरी तरह तैयार है। हालांकि एशियन गेम्स में भारत के मेडल जीतने के चांस पिछली बार के मुकाबले इस बार ज्यादा बेहतर हैं। जिसमें रोइंग इवेंट में भारत के दत्तु भोकानल मेडल जीतन के प्रबल दावेदारों में से एक हैं। रियो ओलंपिक में क्वालिफाई करने वाले पहले भारतीय भोकानल को खुद ये भरोसा है कि वह इस बार एशियाई खेलों में देश को गोल्ड दिलाने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा देंगे। उन्होंने अपनी प्रैक्टिस के बारे में भी बताया कि तैयारी पूरी है और अच्छी रही है। रियो ओलंपिक 2016 में 13वें नंबर पर रहने वाले दत्तु ने खेल में आने से पहले खासा संघर्ष किया था, जानें उनकी पूरी कहानीः
दत्तु भोकानल जिस जिले से तालुक्क रखते हैं, वह सूखे की भयंकर चपेट में रहता आया है। 45 डिग्री तापमान में तपने वाले इस जिले में किसान आत्महत्या भी कर लेते हैं, पानी के दर्शन गहरे कुएं में ही होते हैं। यहां का हर निवासी पानी के लिए तड़पता है, लेकिन दत्तु को पानी से बेहद डर लगता था।
सूखे से निकला रोवर
दत्तु भोकानल पढ़ाई के साथ-साथ 21 वर्ष की उम्र तक प्याज की खेती भी करते थे। क्योंकि युवास्था में उनके सिर से उनके पिता का साया उठ गया था और उनके ऊपर घर चलाने की जिम्मेदारी भी आ गई थी। साल 2012 में दत्तु गांव से बाहर निकले और सेना की भर्ती में भाग लिया। जहां उनकी कद काठी की वजह से उन्हें नौकरी मिल गई, दत्तु का कद 6 फीट 4 इंच है।
करते थे प्याज की खेती
जिंदगी में कभी-कभी आप जिस चीज से भागते हैं, या जिस काम को करने में आपको डर लगता है। लेकिन बाद में आप यदि उसी काम के चैंपियन बनकर उभरते हैं, तो फिर आप खुद पर भरोसा नहीं कर पाते हैं। कुछ ऐसी ही कहानी रही है, भारत के नंबर एक रोइंग स्टार दत्तु बबन भोकानल की। जिनका जन्म 5 अप्रैल 1991 में महाराष्ट्र के नासिक जिले के तालेगांव रोही चांदवाड़ में हुआ था। मौजूदा समय में दत्तु भारत के नंबर एक रोइंग स्टार हैं।
डर के आगे जीत
रोइंग में दत्तु का प्रदर्शन दिन-प्रतिदिन निखरता गया और उन्हें भारत का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिल गया। जहां साल 2015 में बीजिंग में आयोजित हुए एशियन रोइंग चैंपियनशिप में उन्होंने कांस्य पदक जीता। इसके अलावा इसी वर्ष उन्होंने रियो ओलंपिक में क्वालिफाई भी कर लिया, जहां वह 13वें स्थान पर रहे लेकिन ऐसा करने वाले वह पहले भारतीय बने थे।
पहली बार चमके रियो में
सेना में नौकरी मिलने के बाद दत्तु का ध्यान खेलों की तरफ गया, जहां उन्होंने पहली बार बोट संभाली। पानी में बोटिंग करने की असली वजह दत्तु के लिए प्रमोशन थी, जिससे वह अपने घर में ज्यादा पैसे भेज सकें।
प्रमोशन के लिए शुरु की रोइंग