मानव सदियों से स्विमिंग करता रहा है, लेकिन सन् 1830 में इंग्लैंड में पहली बार इसकी प्रतियोगिता शुरु की गई। इसके अलावा ये खेल सन् 1896 में एथेंस ओलंपिक में पहली बार शामिल किया गया था। हालांकि भारत में तैराकी लोकप्रिय रही है, लेकिन इसे बतौर खेल ज्यादा तरजीह नहीं मिली। फिलहाल समय के साथ लोगों ने स्विमिंग को बतौर प्रोफेशन लेना शुरु किया, यही वजह है आज भारत के पास कई विश्वस्तरीय तैराक हैं।
वीरधवल खाड़े भारत के सबसे बेहतरीन स्विमर हैं, साल 2008 में यूथ कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड जीतकर वह पहली बार सुर्खियों में आए थे। यही नहीं वीरधवल ओलंपिक में क्वालिफाई करने वाले भारत के सबसे युवा स्विमर रह चुके हैं। इसके अलावा वह विश्व रैंकिंग में टॉप 100 व बाद में टॉप 50 में जगह बनाने वाले भारत के पहले तैराक बने थे। जानें उनके जीवन से जुड़ी ये खास बातेंः
29 अगस्त सन् 1991 में कोल्हापुर महाराष्ट्र में उनका जन्म हुआ। उनके पिता बॉस्केटबॉल खिलाड़ी रह चुके हैं, ऐसे में उनकी पहली पसंद स्विमिंग नहीं थी। लेकिन उन्होंने अपने शौक को करियर में बदलने का निश्चय किया। 9 वर्ष की उम्र में वीरधवल कोल्हापुर शहर में कई तैराकी प्रतियोगिता में भाग लेते रहे। जिसके बाद साल 2008 में पुणे में हुए कॉमनवेल्थ यूथ गेम्स में 3 गोल्ड व 3 सिल्वर अपने नाम किये थे। इसी वर्ष बीजिंग ओलंपिक में खाड़े ने क्वालिफाई कर लिया और उस समय उनकी उम्र 16 वर्ष थी।
वीरधवल खाड़े का बैकग्राउंड
खाड़े ने शुरुआती सफलता को सही से नहीं लिया और जिसकी वजह से उनके करियर में बुरा दौर आया। साल 2012 के ओलंपिक, 2014 के कॉमनवेल्थ व एशियन गेम्स के अलावा रियो ओलंपिक 2016 में वह क्वालिफाई ही नहीं कर पाए। महाराष्ट्र सरकार से मिली तहसीलदार की नौकरी के बाद वीरधवल को लगा कि दुनिया में स्विमिंग से पहले समस्याओं का निदान होना जरुरी है, जिसकी वजह से वह खेल से वह दूर हो गए।
चला खराब दौर
बीजिंग में हुए ओलंपिक में खाड़े ने 100 मीटर फ्रीस्टाइल हीट में भाग लिया था, जहां वह सेमीफाइनल में जगह नहीं बना पाए थे। जबकि चीन के फोशान में हुए एशियन स्विमिंग चैंपियनशिप में वीरधवल ने एक सिल्वर और तीन कांस्य जीते थे। लेकिन खाड़े ने इतिहास रचा साल 2010 के एशियाई खेलों में जब 50 मीटर बटरफ्लाई इवेंट में अपने नाम किया। वीरधवल खाड़े को साल 2011 में भारत सरकार ने अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया गया था।
करियर की उपलब्धियां
साल 2016 के ओलंपिक में जब वह जगह बनाने से चूक गये तो वह मन ही मन बेहद निराश हुए और उन्होंने निर्णय लिया की दोबार फिर से स्विमिंग में देश का नाम रोशन करना है। उन्होंने मेहनत की और उसका परिणाम भी आया और पहले कॉमनवेल्थ खेलों के लिए चुने गए और अब एशियाई खेलों के लिए भी तैयार हैं।
साल 2017 में दोबारा की शुरुआत