इंडोनेशिया के जकार्ता और पालेमबेंग में होने वाले 18वें एशियन गेम्स की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है। 18 अगस्त से इन खेलों का आगाज हो रहा है, जिसमें भारत के 575 अपनी दावेदारी पेश करेंगे।
आपको बता दें कि पहले एशियन गेम्स की मेजबानी करने का मौका भारत की राजधानी नई दिल्ली को मिला था। इन खेलों में भारतीय खिलाड़ियों ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 15 स्वर्ण, 16 रजत और 20 कांस्य पदक सहित कुल 51 पदक जीतकर दूसरे स्थान पर कब्जा जमाया। लेकिन आप ये जानकर हैरान रह जाएंगे कि ये सभी मेडल पुरुष एथलीट के हिस्से में आए थे।
एशियाई खेलों में किसी भारतीय महिला एथलीट को मेडल जीतने के लिए 19 साल का लंबा इंतजार करना पड़ा। 1970 एशियन गेम्स में भारत के लिए किसी महिला एथलीट ने पहली बार मेडल जीता था और जिस महिला खिलाड़ी ने ये कारनामा किया उनका नाम कमलजीत संधू हैं। आइये जानते हैं एशियन गेम्स में पहला गोल्ड मेडल जीतने वाली भारतीय महिला खिलाड़ी के बारे में……
भारत की कमलजीत संधू ने 1970 बैंकॉक एशियन गेम्स में गोल्ड जीतकर इतिहास रच दिया था। संधू ने 400 मीटर रेस में ये गोल्ड मेडल जीता और एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला एथलीट बनीं।
पंजाब की रहने वाली कमलजीत संधू ने 57.3 सेकेंड का समय निकालते हुए 400 मीटर रेस में गोल्ड पर कब्जा कर सनसनी मचा दी थी। कमलजीत की ये उपलब्धि आने वाले समय में भारतीय महिला एथलीटों के लिए एक मिसाल साबित हुई।
सोच बदलने वाली जीत
कमलजीत की इस जीत ने उन कोच और खेलों के प्रशासनिक अधिकारियों की सोच को पूरी तरह से बदलकर रख दिया, जो महिला एथलीट को पुरुष खिलाड़ियों से कमतर आंकते थे। कमलजीत ने हिंदुस्तान टाइम्स को दिए इंटरव्यू में बताया, “उस दौरान बहुत कम समय के लिए नेशनल कैंप लगते थे और इतना विदेश जाने का मौका भी नहीं मिलता था। बैंकॉक एशियन गेम्स मेरे करियर का पहला बड़ा टूर्नामेंट था। इससे पहले मैंने सिर्फ दो छोटे इंटरनेशनल टूर्नामेंट में हिस्सा लिया था और दोनों में ही गोल्ड मेडल जीता।”
साल 1971 में भारत सरकार ने कमलजीत को देश के चौथे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्मश्री अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। इसी साल उन्होंने इटली के तुरिन में आयोजित वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स में भाग लिया जहां वह 400 मीटर रेस के फाइनल में पहुंचने में कामयाब रहीं।
कमलजीत संधू ने 1972 म्यूनिख ओलंपिक में 400 मीटर रेस में भाग लिया था, लेकिन वो फाइनल में जगह बनाने में कामयबान नहीं हो सकी। साल 1973 में कमलजीत संधू ने एथलेटिक्स से संन्यास ले लिया।
महिला एथलीट के लिए प्रेरणास्त्रोत
कमलजीत नेशनल लेवल बास्केटबॉल और इंटर-वेर्सिटी हॉकी खिलाड़ी रह चुकी हैं। उन्होंने भारत की एथलेटिक्स टीम के कोच के तौर पर दिल्ली में हुए 1982 एशियन गेम्स में भी हिस्सा लिया था।
कमलजीत कई सालों तक बतौर इंचार्ज नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ स्पोर्ट्स ऑफ पटियाला से जुड़ी रही। इस दौरान उन्होंने महिला एथलीटों के प्रोत्साहन के लिए कई सराहनीय प्रयास किए, जिसके बाद खेलों में महिला एथलीट की संख्या में काफी बढ़ोत्तरी हुई।
संधू साल 2008 में नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ स्पोर्ट्स, पटियाला से रिटायर हो गई। फिलहाल वह अपने बच्चों के पास समय बिताने के लिए कनाडा और चंडीगढ़ जाती-रहती हैं। इस साल एशियन गेम्स इंडोनेशिया में होने वाला है, ऐसे में कमलजीत संधू की कहानी भारतीय महिला एथलीट्स के लिए प्रेरणादायक साबित हो सकती है।