ओलंपिक में सिल्वर मेडल जीतकर सफलता की एक नई कहानी लिखने वाली पीवी सिंधु के लिए इस साल सबसे बड़ी चुनौती एशियन गेम्स हैं। रियो ओलंपिक में सिल्वर मेडल जीतने के बाद पीवी सिंधु का बैडमिंटन में शानदार सफर जारी हैं।
साल 2017 और 2018 में सिंधु लगातार 2 बार वर्ल्ड चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीतने का कारनामा कर चुकी हैं, जिससे उनके हौंसले काफी बुलंद हैं। हालांकि कोई भी भारतीय खिलाड़ी अभी तक एशियन गेम्स में बैडमिंटन के एकल वर्ग में कोई भी मेडल नहीं जीत पाया हैं। ऐसे में सिंधु पर काफी दवाब होगा।
दुनिया के तीसरे नंबर की खिलाड़ी सिंधु अब एशियन गेम्स 2018 की तैयारियों में जुटी है, जहां उनका मुकाबला दुनिया के दिग्गज खिलाड़ियों से होगा। इनमें चीनी ताइपे की ताई जु यिंग, जापान की अकाने यागामुची, नोजोमी ओकुहारा, स्पेन की कैरोलिना मारिन, चीन की चेन यूफेई, ही बिंगजियाओ और थाइलैंड की रत्चानोक इंतोनेन शामिल हैं।
पिछले कई सालों से सिंधु के लिए फाइनल मुकाबला कठिन चुनौती रहा है, जो एशियन गेम्स में उनके लिए चिंता का सबब हो सकता है। कई बड़ी खिलाड़ी उनकी इस मनोवैज्ञानिक कमजोरी का फायदा उठाने की ताक में होगी । ऐसे में एशियन गेम्स में अपनी धांक जमाने के लिए सिंधु को शारीरिक और मनौवेज्ञानिक दोनों ही स्तर कड़ी मेहनत करनी होगी।
गौरतलब है कि भारत की ओर से पीवी सिंधु और साइना नेहवाल एशियन गेम्स में बैडमिंटन की महिला एकल स्पर्धा में चुनौती पेश करेंगी। सिंधु और साइना दोनों ही खिलाड़ी एशियन गेम्स के पदक के प्रबल दावेदारों में से एक है, क्योंकि दोनों ही ओलंपिक में मेडल अपने नाम कर चुकी हैं।