ओलंपिक खेलों में बैडमिंटन को साल 1992 में पहली बार शामिल किया गया था। पहले ही ओलंपिक में पुरुष सिंगल्स में इंडोनेशिया के खिलाड़ी एलन बुडिकुसुमा ने बेहतरीन खेल का प्रदर्शन किया था और गोल्ड मेडल जीता था। इसी साल उनकी फियांसे ने महिला वर्ग में अच्छा प्रदर्शन करते हुए गोल्ड मेडल अपने नाम किया था। लेकिन इस गोल्ड के बाद अगले दो ओलंपिक में इंडोनेशिया का कोई खिलाड़ी सिंगल्स में गोल्ड नहीं जीत सका। इस दौरान पुरुष वर्ग में सिर्फ एक सिल्वर ही उन्हें नसीब हुआ। साल 2004 में एथेन्स में ओलंपिक का आयोजन किया गया। इस टूर्नामेंट के लिए इंडोनेशिया ने पुरुष वर्ग में दो बड़े खिलाड़ियों तौफीक हिदायत और सोनी डुई कुनकोरो को भेजा। लेकिन इन दो खिलाड़ियो में तौफीक को लेकर खूब चर्चाएं थीं क्योंकि तौफीक ने 2002 और 2004 इंडोनेशिया ओपन के फाइनल में चेन जोंस जैसे बड़े खिलाड़ी को हराकर खिताब अपने नाम किया था।
अब वह ओलंपिक में पहुंच चुके थे। ओलंपिक में उनका पहला मुकाबला जापान के हिदेताका यामादा से हुआ। यामादा को तौफीक ने दो लगातार सेटों में 15-8, 15-10 से हरा दिया और राउंड 16 में प्रवेश कर लिया भारत की ओर से इस टूर्नामेंट दो खिलाड़ी निखिल कनेतकर और अभिन्न श्याम गुप्ता सम्मिलित हुए थे। हालांकि, इन दोनों में से सिर्फ एक, निखिल राउंड 16 में प्रवेश कर पाया। राउंड 16 में तौफीक हिदायत का सामना मलेशिया के वॉन्ग स हुआ। वॉन्ग ने पहले सेट में हिदायत को दिन में तारे दिखा दिए और शुरुआत में बढ़त लेते हुए पहला सेट 11-15 से जीत लिया। अब हिदायत के पास करो या मरो का ही मौका था। फिर क्या था उन्होंने तेजतर्रार खेल दिखाया और आखिरी दोनों सेट 15-7, 15-9 से जीतते हुए क्वार्टरफाइनल में प्रवेश किया। भारत के निखिल का सफर यहीं थम गया और वह डेनमार्क के गेड से 15-10, 15-6 से हार गए। क्वार्टरफाइनल में गेड का मुकाबला हिदायत से हुआ। इस मैच में गेड हिदायत के आगे कहीं नजर नहीं आए और लगातार सेटों में उन्होंने मैच 15-12, 15-12 से जीत लिया।
इस तरह हिदायत सेमीफाइनल में पहुंच चुके थे। सेमीफाइनल में उनके सामने थाईलैंड के पोनसाना था। पोनसाना के खिलाफ हिदायत ने और बेहतरीन बैडमिंटन खेली और लगातार दो सेटों में 15-9, 15-2 से मैच जीतते हुए फाइनल में पहुंच गए। फाइनल में उनका मुकाबला कोरिया के शोन से हुआ। शोन ने अब तक टूर्नामेंट में मैच लंबे अंतर से जीते थे। ऐसे में फाइनल में दिलचस्प मुकाबले की उम्मीदें थीं। लेकिन ऐसा हुआ नहीं और हिदायत ने उन्हें 15-8, 15-7 से लगातार दो सेटों में हरा दिया और मैच अपने नाम कर लिया। इस तरह पूरे 12 सालों के बाद ओलंपिक का गोल्ड मेडल वह एक बार फिर से अपने देश ले आए। उनके ही देश के कोनकोरो ने ब्रॉन्ज मेडल भी जीता। इस तरह इंडोनेशिया की एथेंस ओलंपिक में चांदी हो गई।