वरिष्ठ भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी ज्वाला गुट्टा इन दिनों सरकार से नाराज़ दिखाई दे रही हैं और उनकी नाराज़गी की वजह है पद्म पुरस्कारों की सूची में उनका नाम ना आना। उल्लेखनीय है कि भारत के लिए कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीतने वाली ज्वाला का नाम इस साल खिलाड़ियों को मिलने वाले पद्म पुरस्कारों की सूची में शामिल नहीं किया गया है जिसके बाद उन्होंने इसकी चयन प्रक्रिया पर सवाल उठाया है।
सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक के ज़रिये उन्होंने इस बाबत अपना गुस्सा निकालते हुए कहा “मुझे हमेशा अचरज होता था कि देश के सबसे प्रतिष्ठित पद्म अवार्डों के लिए आवेदन करना होता है लेकिन जब एक प्रक्रिया बनाई ही गई है तो मैंने भी आवेदन कर दिया। मैंने इसलिए आवेदन किया, क्योंकि मुझे लगता है कि मैंने अपने प्रदर्शन से देश को गौरवान्वित किया है और इसलिए मैं इसकी हकदार हूं.
इस अनुभवी खिलाड़ी ने फेसबुक पर आगे लिखा “मैं अपने देश के लिए 15 साल से खेल रही हूं और कई बड़े टूर्नामेंट जीते हैं.” उन्होंने लिखा है, “मैंने सोचा था कि मुझे आवेदन करना चाहिए, लेकिन मुझे लगता है कि यह काफी नहीं था. आपको सिफारिशों की जरूरत होती है. मेरा सवाल है कि मुझे पुरस्कार के लिए आवेदन करने और उसके बाद सिफारिशों की क्या जरूरत है.”
ज्वाला का गुस्सा यही नहीं रुका, उन्होंने आगे लिखा, “क्या मेरी उपलब्धियां काफी नहीं हैं? मैं पूरे तंत्र के बारे में जानने के लिए आतुर हूं. दिल्ली राष्ट्रमंडल खेल और ग्लास्गो राष्ट्रमंडल खेल में लगातार दो पदक काफी नहीं हैं? विश्व चैम्पियनशिप में मेरा पदक काफी नहीं है? महिला युगल और मिश्रित युगल रैंकिंग में मैं शीर्ष-10 में रही, सुपरसीरीज और ग्रांप्री गोल्ड में मेरा प्रदर्शन काफी नहीं है?”
ज्वाला आगे लिखा, “मैंने 15 बार राष्ट्रीय चैम्पियनशिप जीती है. साथ ही मैं ओलम्पिक में दो स्पर्धाओं में क्वालीफाई करने वाली भारत की पहली खिलाड़ी हूं. विश्व चैम्पियनशिप में प्रकाश पादुकोण के बाद पदक जीतने वाली मैं पहली खिलाड़ी हूं.” अपनी भड़ास निकालते हुए ज्वाला ने आगे लिखा “मैंने भारत में युगल बैडमिंटन का आधार रखा, जहां इसे कोई गंभीरता से नहीं लेता था. लेकिन यह काफी नहीं है, क्योंकि मैं मुखर हूं. मुझे इस अवार्ड के लिए क्यों नहीं चुना गया? मैं नहीं जानती कि मुझे अब इस अवार्ड के लिए कहना चाहिए या नहीं. मैं इसकी हकदार नहीं हूं. अगर यह सब काफी नहीं है तो क्या चाहिए?”
ज्वाला के बयान से एक बात तो साफ़ हो गई कि इस समय वो अपना नाम पद्म पुरस्कारों की सूची में शामिल न होने से सरकार से खासी नाराज़ चल रही हैं। अब देखना ये होगा कि उनका ये गुस्सा कब शांत होता है, या शांत होता भी है या नहीं। अब इस बात का जवाब तो हमें आने वाला वक़्त ही बताएगा।