उम्र महज़ 12 साल और चेस जैसे खेल में सबसे युवा ग्रैंडमास्टर बनना, यह किसी सपने के पूरे होने जैसा है। चेस जो कि तेज़ दिमाग के साथ संयम वाला खेल कहा जाता है और इस खेल में बड़े-बड़े दिग्गज़ों के दिमाग के घोड़े खुल जाते हैं, उस खेल के लिटिल मास्टर हैं चेन्नई के प्रगनानंधा रमेशबाबू। प्रागनानंदा दुनिया के दूसरे और भारत के सबसे युवा चेस ग्रैंडमास्टर हैं जिनके पांच बार विश्व चैंपियन और भारत के स्टार चेस प्लेयर विश्वनाथन आनंद भी फैन हैं। आईये जानते हैं छोटी सी उम्र में बड़ा कारनामा करने वाले इस लिटिल चैंप के बारे में।
प्रगनानंधा रमेशबाबू भारत के सबसे युवा विश्व के दूसरे सबसे युवा ग्रैंडमास्टर हैं जिन्होंने यह मुकाम (12 वर्ष, 10 माह, 13 दिन) की उम्र में हासिल किया। सबसे कम उम्र में ग्रैंडमास्टर बनने का रिकॉर्ड यूक्रेन के सर्गेई कार्जाकिन के नाम है जिन्होंने 12 वर्ष, 7 महीने में यह उपलब्धि अपने नाम की थी।
भारत के सबसे युवा ग्रैंडमास्टर
इससे पूर्व वर्ष 2016 में प्रागनानंदा 10 वर्ष, 10 माह एवं 19 दिन की आयु में विश्व के सबसे युवा अंतरराष्ट्रीय मास्टर बने थे।
सबसे युवा अंतरराष्ट्रीय मास्टर
प्रगनानंदा की बहन वैशाली रमेशबाबू भी चेस की बेहतरीन खिलाड़ी हैं, वह अंडर -14 एवं अंडर -12 के तहत लड़कियों की विश्व युवा शतरंज चैंपियनशिप जीत चुकी हैं।
बहन भी हैं चेस में माहिर
प्रगनानंधा से पहले भारत की ओर से सबसे युवा ग्रैंडमास्टर होने का रिकॉर्ड परिमार्जन नेगी के नाम था जब उन्होंने 1 जुलाई, 2006 को 13 वर्ष, 4 माह और 22 दिन में यह उपलब्धि प्राप्त की थी।
परिमार्जन नेगी के नाम था रिकॉर्ड
प्रागनानंदा एक मध्यवर्गीय परिवार से हैं और इस वजह से उनके पिता नहीं चाहते थे कि वो चेस जैसे खेल में करियर बनाए। लेकिन प्रज्ञानंद की बहन वैशाली रमेशबाबू चेस खेलती थीं। इसलिए उन्हें देखकर प्रज्ञानंद भी चेस की ओर आकर्षित हुए और उन्हीं से सीखना शुरू कर दिया।
मध्यवर्गीय परिवार से हैं प्रगनानंधा
इटली में हुए ग्रीन्डाइन ओपन में भारत के आर प्रगनानंधा ने अंतिम दौर तक पहुंचने के बाद देश के सबसे युवा और दुनिया के दूसरे सबसे युवा ग्रैंड मास्टर बन गए थे। फाइनल मुकाबले मे इस युवा खिलाड़ी ने नीदरलैंड के ग्रैंड मास्टर रोएलैंड प्रूजिस्स को मात दी थी।
ग्रीन्डाइन ओपन में रचा इतिहास