1983 में कपिल देव की कप्तानी में भारत ने विश्वकप जीता था। 2003 में सौरव गांगुली की कप्तानी में भारत वो करिश्मा दोहराने की दहलीज पर पहुंच गया था, लेकिन 20 साल का ये इंतजार खत्म नहीं हो सका। विश्वकप फाइनल में ऑस्ट्रेलिया ने भारत को हराकर विश्व चैंपियन का ताज पहना। पूरे विश्वकप में शानदार प्रदर्शन करने के बावजूद भारत खिताब से एक कदम दूर रह गया।
भारत ने फाइनल में पहले फील्डिंग का फैसला किया, जो पूरी तरह गलत साबित हुआ। एडम गिलक्रिस्ट और मैथ्यू हेडन ने 14 ओवर में ही 105 रन ठोक डाले। गिलक्रिस्ट 57 और हेडन 37 रन बनाकर आउट हुए। लेकिन अब भारत के सामने इससे भी बड़ा तूफान आ गया। कप्तान रिकी पोटिंग ने अपने करियर की सबसे यादगार पारियों में से एक खेल डाली। 121 बॉल पर ताबड़तोड़ 140 नॉटआउट रन बनाकर पोटिंग ने मैच ही भारत से दूर कर दिया। उनका साथ दिया डेनियन मार्टिन ने जिन्होंने 84 गेंदों पर 88 रन बनाए। ऑस्ट्रेलिया ने 359 रन बनाकर मैच को करीब-करीब एकतरफा ही कर दिया।
भारत की रही-सही उम्मीदें पारी की पांचवीं बॉल पर ही ढ़ेर हो गईं, जब सचिन तेंदुलकर को मैक्ग्रा ने अपनी ही गेंद पर कैच कर पवेलियन वापस भेज दिया। स्तब्ध भारतीय चेहरे सारी कहानी बयां कर रहे थे। अब शायद मैच में उनके उम्मीद बांधने के लिए कुछ नहीं बचा था। वीरेंद्र सहवाग ने 82 रन बनाए, जो नाकाफी थे। भारत मैच 125 रन से हार गया और इस तरह से खिताब भी भारत से एक कदम दूर रह गया।