कहते हैं ‘संघर्ष जितना बड़ा होगा’, ‘जीत उतनी ही शानदार होगी’। जब भी कुछ बड़ा करना होता है तो प्रकृति अक्सर कड़े इम्तिहान ही लेती है। बिना जद्दोजहद के कोई भी चीज आसानी से हासिल नहीं होती। ऐसा ही एक संघर्ष है, एक रणजी क्रिकेटर का जिसे आप सुनकर दंग रह जाएंगे। हालाँकि 29 साल के इस स्पिनर ने अपनी धार-धार गेंदबाजी से विरोधी खेमें के छक्के छुड़ा दिए। अब आपके मन में ख्याल आ रहा होगा कि भला इसमें कौन सा संघर्ष। रिकॉर्ड तो बनते ही हैं टूटने के लिए। हार जीत तो लगी रहती है। इसमें नया क्या है ?
तो हम आपको बता दें उनके पिता पिछले 20 वर्षों से बिस्तर पर पड़े हैं। माँ 20 सालों से घर संभाल रही हैं। घर का मुखिया ही जब किसी वजह से हथियार डाल दे तो ऐसे में मजबूत इरादें ही काम आतें हैं। यहाँ हम बात कर रहें है विदर्भ की तरफ से रणजी खेलने वाले स्पिनर आदित्य सरवटे की जिन्होंने अपनी घातक गेंदबाजी से सौराष्ट्र की टीम को हार का मुहं देखने के लिए मजबूर कर दिया।

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बात करें रणजी मैच की तो विदर्भ क्रिकेट संघ (वीसीए) स्टेडियम में सौराष्ट्र और विदर्भ के बीच खेलें गए रणजी के फाइनल मैच में टॉस जीत कर विदर्भ ने पहले बल्लेबाज़ी करते हुए 312 रनों का विशाल स्कोर खड़ा किया जिसके जवाब में बल्लेबाज़ी करने उतरी सौराष्ट्र की टीम 307 रनों पर ही ढेर हो गई। विदर्भ को शानदार जीत दिलाने में आदित्य का अहम योगदान रहा, उन्होंने 59 रन देकर सर्वाधिक छह विकेट लिए। उनके कहर के आगे सौराष्ट्र की टीम की बल्लेबाजी बुरी तरह लड़खड़ा गई। नतीज़तन सौराष्ट्र को पटखनी देते हुए विदर्भ ने शानदार जीत हासिल की। आदित्य के इस प्रदर्शन से घर वालों की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा।
मां के संघर्ष को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

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आदित्य के क्रिकेटर बनने के पीछे उनकी मां के बलिदान को कतई नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। एक सड़क दुर्घटना में बुरी तरह घायल होने के बाद आदित्य के पिता लंबे समय तक कोमा में रहे। बैंक कर्मी के तौर पर काम कर रही उनकी मां ने ही घर की सारी जिम्मेदारी संभाली। घर के खर्च से लेकर आदित्य की पढाई तक सब बड़ी शिद्दत से पूरा किया। अपने पिता के दुर्घटना के समय आदित्य की उम्र महज तीन साल थी। उन्होनें अपनी आंखों के सामने ही अपनी मां के संघर्ष को देखा कि कैसे उनकी मां ने घर और दफ्तर का काम बखूबी संभाला। आदित्य ने शुरू से ही अपनी माँ से जुझारू होना सीखा और आगे चलकर उसे अपने करियर में भी अपनाया।
परिवार वालों का क्रिकेट से गहरा लगाव

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आदित्य के परिवार वालों का क्रिकेट से गहरा जुड़ाव रहा है। उनके दादा श्याम सरवटे रेडियों पर एक मशहूर कमेंटेटर रहे हैं। साथ ही साथ आदित्य के चाचा चंदू सरवटे भी कमेंट्री के तौर पर खासा नाम कमा चुके हैं। आदित्य को क्रिकेट खेलने का शौक ही अपने दादा की कहानियां सुनते हुए लगा जिसके बाद क्रिकेट को ही उन्होंने अपना जीवन बना लिया। वो पिछले 8 सालों से विदर्भ का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। इसे देखकर यह कहा जा सकता है कि क्रिकेट, आदित्य के खून में ही है।
यह कोई पहला मौका नहीं है जब आदित्य ने अपनी टीम को संकट से उबारा है इससे पहले भी उन्होंने विदर्भ की जीत में अहम भूमिका निभाई है। विदर्भ के कोच चन्द्रकांत पंडित और कप्तान फैज फजल उनकी काबिलियत से भलीभांति वाकिफ़ हैं। अपने शानदार प्रदर्शन के आधार पर भविष्य में यदि आदित्य टीम इंडिया जर्सी पहनते हैं तो इसमें किसी को कोई हैरानी नहीं होनी चाहिए।