साल 2009 का कॉम्पैक कप फाइनल टीम इंडिया की शानदार जीत में से गिना जाता है। धमाकेदार बल्लेबाजी और उम्दा गेंदबाजी के दम पर भारत ने श्रीलंका को उसी की जमीन पर हराकर खिताब अपने नाम किया। कोलंबो के आर प्रेमदासा स्टेडियम पर भारत ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला किया। टीममैन राहुल द्रविड़ ने मुश्किल वक्त में ओपनिंग का जिम्मा संभाला और इस काम को बखूबी अंजाम दिया। सचिन के साथ द्रविड़ ने 95 रन की ओपनिंग की। 39 रन बनाकर राहुल आउट हुए तो कप्तान महेंद्र सिंह धोनी खुद मैदान पर उतरे। धोनी-सचिन ने बखूबी पारी को बढ़ाया। सचिन ने 47 बॉल पर जोरदार पचासा पूरा किया। आज सचिन पूरी लय में थे। धोनी ने भी कप्तानी पारी (56) खेली।
सचिन ने 92 बॉल पर जबरदस्त शतक ठोक अपना दमखम कोलंबो को भी दिखा दिया। सचिन की पारी (138 रन, 133 बॉल) और अंतिम ओवर्स में युवराज के धमाके (56 रन नॉटआउट, 41 बॉल) ने भारत का स्कोर 319 तक पहुंचा दिया।
फाइनल मुकाबले में ये स्कोर चेज करना बेहद मुश्किल था। श्रीलंका के लिए इसे और मुश्किल बना दिया भज्जी की फिरकी ने। हरभजन ने 9.4 ओवर में 56 रन देकर 5 विकेट उखाड़ दिए। इनमें तिलकरत्ने दिलशान, महेला जयवर्धने, थिलन कादांबी जैसे बड़े विकेट भी शामिल थे। अंतिम दो बल्लेबाज, लसिथ मलिंगा और अजंता मेंडिस को भी भज्जी ने ही पवेलियन का रास्ता दिखाया। श्रीलंका की पारी 46.4 ओवर में 273 रन पर सिमट गई।
भारत ने 46 रन से मैच जीत कॉम्पैक कप पर कब्जा जमाया। मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर को मैन ऑफ द मैच और मैन ऑफ द सीरीज के खिताब से नवाजा गया।