दिल्ली का फिरोजशाह कोटला मैदान यूं तो भारत की कई ऐतिहासिक जीतों का गवाह रहा है। पर कोटला के इतिहास में एक दिन ऐसा भी आया था, जब कोटला ने दुनिया भर के सामने भारतीय क्रिकेट की फजीहत करा दी थी। 27 दिसंबर 2009 का दिन कोटला के लिए काला दिन साबित हुआ। भारत-श्रीलंका सीरीज का पांचवां और आखिरी वनडे यहां खेला गया। श्रीलंका ने पहले बैटिंग की।
जहीर खान ने मैच की पहली ही बॉल पर उपुल थरंगा को बोल्ड कर भारत को जबरदस्त शुरुआत दिलाई। लेकिन इसके बाद शुरू हुआ पिच का खेल। दरअसल, पिच में कुछ ऐसे स्पॉट्स थे, जिस पर पिच होते ही बॉल खतरनाक तरीके से बाउंस ले रही थी। ये बाउंस बेहद खतरनाक था और पिच के रफ पैचेस आसानी से नजर में भी नहीं आ रहे थे।
भारत ने उम्दा गेंदबाज़ी करते हुए 23.3 ओवर में 83 रन पर लंका के पांच विकेट उखाड़ दिए। लेकिन खतरनाक बाउंस ने खेल खराब कर दिया। ऐसी ही एक बाउंस लेती गेंद ने दिलशान को घायल कर दिया। आखिरकार, 24वें ओवर में लंका ने इस पिच को खतरनाक बताते हुए इस पर खेलने पर ऐतराज जताया। मैच रेफरी ने पिच का मुआयना किया और इसे अनफिट करार दिया।
मैच बिना नतीजे के खत्म हुआ। कोटला की पिच का विवाद आईसीसी तक गया। हालांकि बीसीसीआई ने हस्तक्षेप करते हुए कोटला को लंबे बैन से बचा लिया, पर फजीहत से नहीं बचा पाए।