1998 में पाकिस्तान के दौरे पर गई ऑस्ट्रेलियाई टीम को पहला टेस्ट रावलपिंडी में खेलना था। अपने घर में पाक को हराना भी उस दौर में काफी कठिन होता था। खैर, पाक ने पहले बैटिंग की, स्टुअर्ट मैक्गिल ने पांच विकेट चटकाए और पूरी टीम 269 पर ढ़ेर हो गई। लेकिन ऑस्ट्रेलिया के लिए असली चुनौती पाकिस्तान की गेंदबाज़ी थी। हुआ भी ऐसा ही..कंगारुओं के भी तीन विकेट 28 रन पर गिर गए। वो भी टेलर, लेंगर और मार्क वॉ के।
ऑस्ट्रेलिया पर भी मैदान पर टिकने की चुनौती थी। ऐसे में ऑस्ट्रेलिया की तरफ से मोर्चा संभाला कप्तान स्टीव वॉ ने। वॉ ने रावलपिंडी पर टिपिकल टेस्ट इनिंग खेली और वो क्लास दिखाई, जिसके दम पर वो वनडे-टेस्ट दोनों फॉर्मेट में भरोसेमंद रहे। वसीम एंड कंपनी के आगे कोई जल्दबाजी किए बिना स्टीव ने विकेट पर वक्त बिताया और साथी बैट्समैन को भी ये बताया कि इस बॉलिंग अटैक का सामना कैसे करना है।
ऑस्ट्रेलियाई कप्तान 392 मिनट तक क्रीज पर डटे रहे, 325 बॉल का सामना किया और 157 रन की मैराथन पारी खेल डाली। वॉ के साथ ही माइकल स्लेटर ने भी शतक लगाया। ऑस्ट्रेलिया ने 513 रन बनाए और मैच पारी से जीता। ये स्टीव वॉ की बल्लेबाज़ी का ही कमाल रहा कि उनकी टीम ने पाकिस्तान टीम के खिलाफ उनकी ही सरज़मी पर फतह हासिल की।