समय के साथ क्रिकेट के खेल में काफी बदलाव आया है। पुराने समय की तुलना में अब किसी भी खिलाड़ी के लिए टीम में लगातार अपनी जगह बचा के रख पाना काफी मुश्किल हो गया है। इसके पीछे कई वजह हैं। पहले जहां देश में प्रतिभाओं की कमी होती थी, क्योंकि पुराने समय में इतने उन्नत संसाधन नहीं होते थे। वहीं अब जब समय बदला तो खिलाड़ियों के लिए टीम में बने रहने के लिए लगातार अच्छा प्रदर्शन करते रहना भी जरूरी हो गया, नहीं तो टीम सेलेक्टर्स जल्द ही उस खिलाड़ी का दूसरा विकल्प तलाश लेते हैं।
भारत के बाहर भले ही फुटबॉल या फिर अन्य खेलों का काफी क्रेज हो लेकिन भारत में तो बतौर खेल क्रिकेट को ही लोग एक धर्म की तरह पूजते हैं। भारतीय क्रिकेटर्स वर्तमान समय में दुनिया में काफी बेहतरीन माने जाते हैं, क्योंकि पुराने समय की अपेक्षा अब भारतीय टीम का खेल काफी बदल चुका है। पहले एक खिलाड़ी का बल्लेबाज़ी और गेंदबाज़ी के बिनाह पर ही टीम में चयन किया जाता था। लेकिन बदलते वक़्त के साथ अब फील्डिंग भी उतनी ही महत्वपूर्ण हो गई है जितनी की बल्लेबाज़ी और गेंदबाज़ी।
नतीजतन, अब खिलाड़ी भी खुद अपनी फिटनेस पर काफी ध्यान देते हैं। क्योंकि अगर वो ऐसा नहीं करेंगे तो टीम में अपनी जगह बनाना उनके लिए संभव नहीं हो पाएगा। यही वजह है कि बाकी देशों की तरह खिलाड़ियों की फिटनेस के पैमाने को मापने के लिए टीम इंडिया के चयन में भी यो-यो टेस्ट को इन दिनों काफी तरजीह दी जा रही है। हाल ही में कई खिलाड़ी ऐसे रहे हैं जिन्हें यो-यो टेस्ट में फेल होने का खामियाज़ा टीम से अपनी जगह गवां कर उठाना पड़ा। ऐसे में ये जानना लाज़मी हो जाता है कि आखिर ये यो-यो टेस्ट है क्या।
क्या है यो-यो फिटनेस टेस्ट?
-यो-यो फिटनेस टेस्ट अब खिलाड़ियों की फिटनेस मापने का सबसे सटीक पैमाना बन चुका है, जिसकी वजह से पिछले दिनों कई भारतीय खिलाड़ियों को परेशान होते देखा गया है।
– इस टेस्ट के जरिए खिलाड़ियों की फिटनेस मापने के लिए सबसे पहले 20 मीटर की दूरी पर कोन के द्वारा दो पंक्तियां बनाई जाती हैं। इन दोनों लाइनों के बीच खिलाड़ी को लगातार दौड़ना होता है।
– खिलाड़ी इन पंक्तियों के बीच तब तक दौड़ता रहता है, जब तक कि एक बीप साउंड नहीं बज जाता है, बीप बजने के बाद खिलाड़ी को मुड़ना होता है।
– इस टेस्ट के दौरान हर एक मिनट में तेजी बढ़ती जाती है और अगर खिलाड़ी निर्धारित समय तक रेखा तक नहीं पहुंचे हैं तो दो और बीप साउंड के अंतर्गत खिलाड़ी को तेजी पकड़नी होती है।
– टेस्ट के दौरान अगर खिलाड़ी दोनों छोर पर तेजी हासिल नहीं कर पाता है तो यह टेस्ट बीच में ही रोक दिया जाता है और वह इस टेस्ट में फेल घोषित कर दिया जाता है। गौरतलब हो कि भारत समेत अन्य देशों के लिए इस टेस्ट को पास करने के लिए अंकों का आंकड़ा अलग-अलग है।
जानिए किस देश के खिलाड़ी को हासिल करने होते हैं कितने अंक
इस टेस्ट को पास करने के लिए हर देश के खिलाड़ियों के लिए अंकों का अलग-अलग आंकड़ा निर्धारित किया गया है। किसी भी भारतीय खिलाड़ी के लिए इस टेस्ट को पास करने के लिए 19.5 अंक या इससे ज्यादा हासिल करने होते थे लेकिन वर्तमान में इस आंकड़े को कम कर 16.1 कर दिया गया है। वहीं वर्तमान में इस टेस्ट के जरिए अपनी बेहतरीन फिटनेस साबित करने वाले भारतीय खिलाड़ियों में कप्तान विराट कोहली, रवींद्र जडेजा और मनीष पांडे का नाम सबसे ऊपर है, जो लगातार इस टेस्ट में 21-21 अंक का आंकड़ा पार कर चुके हैं।
वहीं इंग्लैंड, वेस्टइंडीज और न्यूजीलैंड के खिलाड़ियों को यो-यो टेस्ट में पास होने के लिए 19 अंक लाना अनिवार्य है। इसके आलावा साउथ अफ्रीका के खिलाड़ियों को इस टेस्ट को पास करने के लिए 18 अंक प्राप्त करने होते हैं। जबकि श्रीलंका और पाकिस्तान के खिलाड़ियों को इस टेस्ट को पास करने के लिए 17.4 अंक लाना अनिवार्य होता है। वहीं यो-यो टेस्ट के लिए सबसे ज़्यादा अंक ऑस्ट्रेलिया के खिलाड़ियों को हासिल करने होते हैं। उन्हें इस टेस्ट में 20.1 अंक लाने अनिवार्य होते थे।